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प्रतिस्पर्धा नहीं पूरक बनकर एक दूसरे की प्रगति में सहभागी बनें।
फेडरेशन ऑफ जैन एसोसिएशन ऑफ नार्थ अमेरिका के अध्यक्ष श्री महेन्द्र जैन पांड्या न्यूयार्क ने कहा हम विलय एवं एकरूपता नहीं चाहते है किन्तु एकता जरूर चाहते है। जिससे सभी का अस्तित्व एवं पहचान बनी रहे एवं सभी में परस्पर समन्वय भी विकसित हो।
राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीप जैन कासलीवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि पत्रकारों
को समाचारों के प्रकाशन से विमान तल पर वित्त राज्य मंत्री का स्वागत करते हुए
पहले उससे समाज पर पड़ने श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल एवं अन्य
वाले प्रभाव का अध्ययन कर लेना चाहिये। वे समाज के जिम्मेदार अंग है। अत: उन्हें ऐसे किसी समाचार या आलेख को पत्र में स्थान नहीं देना चाहिये जिससे समाज में टूटन हो, विघटन हो, संघर्ष हो या कटुता बढ़े। कार्यक्रम के अध्यक्ष कर्मयोगी ब्र. रवीन्द्र कुमार जैन ने सभी वक्ताओं के विचारों का समाहार करते हुए कहा कि आज समाज के सामने 4 प्रमुख मुद्दे है। 1. मांस निर्यात निरोध। 2. जैन समाज को अल्पसंख्यक घोषित कराना। 3. जनगणना में जैनों की सही स्थिति अंकित कराना। 4. भगवान ऋषभदेव एवं जैन धर्म की प्राचीनता का प्रचार।
मैं चाहता हूँ कि पत्रकार बन्धु अपने-अपने वर्तमान उद्देश्यों की पूर्ति के साथ ही अपनी पत्रिका में इन 4 मुद्दों पर नियमित रूप से सामग्री प्रकाशित करें। इससे सबका समान हित है और कहीं कोई विरोधाभास नहीं है। उन्होंने महासमिति को इस पत्रकार सम्मेलन के आयोजन हेतु धन्यवाद देते हुए कहा कि पत्रकारों को अपना एक स्वतंत्र संगठन बनाना चाहिये जो किसी संस्था से सम्बद्ध न हो।
पत्रकार सम्मेलन में समागत बन्धुओं को 1. तीर्थंकर ऋषभदेव जैन विद्वत् महासंघ द्वारा प्रकाशित जैन पत्र-पत्रिकाओं की सची (प्रथम पारूप) 2 जैन धर्म के विषय में प्रचलित भांतियां ।
भ्रांतियां एवं वास्तविकतायें (पुस्तक) 3. स्वास्थ्य बोधामृत (पुस्तक) 4. सन्मतिवाणी (पत्रिका) 5. हूमड़ मित्र (पत्रिका) 6. संस्कार सागर (पत्रिका) 7. कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की 12 वर्षीय प्रगति आख्या का सेट भेंट स्वरूप प्रदान किया गया। संयोजक डा. अनुपम जैन के आभार प्रदर्शन से सम्मेलन का समापन किया गया।
.डा. अनुपम जैन
केन्द्रीय प्रचार मंत्री- महासमिति "ज्ञानछाया" डी-14, सुदामानगर, इन्दौर -9
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अर्हत् वचन, अप्रैल 2000