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________________ आख्या अर्हत् वचन कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्विदिवसीय भगवान ऋषभदेव संगोष्ठी __इन्दौर, दिनांक 28 - 29 मार्च 2000 -अरविन्दकुमार जैन* परमपूज्य गणिनीप्रमुख आर्यिकाशिरोमणि श्री ज्ञानमती माताजी की पावन प्रेरणा से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर मनाये जा रहे भगवान ऋषभदेव निर्वाण महामहोत्सव वर्ष के अन्तर्गत देवी अहिल्या वि.वि. द्वारा मान्य शोध केन्द्र कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा भगवान ऋषभदेव राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 28 - 29 मार्च 2000 को ऋषभदेव जयन्ती के पावन प्रसंग पर किया गया। परमपूज्य उपाध्याय मुनि श्री निजानन्दसागरजी महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित इस द्विदिवसीय संगोष्ठी के 4 सत्रों में 10 वक्ताओं ने भगवान ऋषभदेव के जीवन, जैनेतर ग्रंथों में ऋषभदेव विषयक उल्लेख, ऋषभदेव की परम्परा के आचार्यों के वैज्ञानिक अवदान तथा जैन धर्म के ऐतिहासिक एवं पौराणिक सन्दर्भो पर सारगर्भित एवं तथ्यपूर्ण आलेख प्रस्तुत किये। ____ संगोष्ठी का उद्घाटन 28 मार्च 2000 को प्रात: 8.30 पर सम्पूर्णानन्द संस्कृत वि.वि. वाराणसी के श्रमण विद्या संकाय के पूर्व संकायाध्यक्ष डॉ. गोकुलचन्द्र जैन की अध्यक्षता में पुरातत्व प्रेमी श्री सूरजमल बोबरा के दीप प्रज्जवलन से सम्पन्न हुआ। ब्र. प्रदीपजी के मंगलाचरण से प्रारम्भ इस सत्र में डॉ. प्रकाशचन्द जैन (इन्दौर) तथा डॉ. स्नेहरानी जैन (सागर) ने ऋषभदेव के जीवन तथा जैन धर्म की प्राचीनता पर अपने आमंत्रित व्याख्यान दिये। सत्र का संचालन पं. जयसेन जैन (इन्दौर) ने किया। पूज्य उपाध्याय श्री निजानन्दसागरजी ने कहा कि आदि पुरुष भगवान ऋषभदेव ने ही विश्व को जीवन जीने की कला सिखाई। उनके व्यक्तित्व ने न केवल जैन समाज अपितु सम्पूर्ण मानवता को प्रभावित किया है। युग के प्रारम्भ में बताये गये उनके मार्ग का अनुसरण करके ही आज मनुष्य ज्ञान - विज्ञान के विविध क्षेत्रों में प्रगति कर रहा है। सत्र में श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल (अध्यक्ष), श्री महाराजा बहादुरसिंह कासलीवाल (उपाध्यक्ष), प्रो. नवीन सी. जैन (निदेशक) की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। 28 मार्च को ही अपरान्ह 3 बजे संगोष्ठी के द्वितीय सत्र की अध्यक्षता विक्रम वि.वि. के पूर्व कुलपति प्रो. आर. आर. नांदगांवकर (नागपुर) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में चौधरी चरणसिंह वि.वि., मेरठ के विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. सुरेशचन्द्र अग्रवाल (मेरठ) उपस्थित थे। इस सत्र में भगवान ऋषभदेव की परम्परा के आचार्यों के वैज्ञानिक अवदान पर मगध वि.वि., बोधगया के महाविद्यालय विकास परिषद के संयोजक डॉ. नलिन के. शास्त्री (बोधगया) एवं होलकर विज्ञान महाविद्यालय, इन्दौर के गणित के सहायक प्राध्यापक डॉ. अनुपम जैन (इन्दौर) ने अपने विचार व्यक्त किये। डॉ. शास्त्री ने जीव विज्ञान को अपने उदबोधन का आधार बनाया वहीं डॉ. जैन ने गणित एवं गणितीय विज्ञान पर अपने विचारों को केन्द्रित किया। 28 मार्च को सायं 5 बजे से प्रारम्भ तृतीय सत्र जैन परम्परा के प्रागैतिहासिक साक्ष्यों पर केन्द्रित था। इस सत्र की अध्यक्षता की डॉ. नलिन के. शास्त्री (बोधगया) ने। मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे प्रसिद्ध समाजसेवी श्री अजितकुमारसिंह कासलीवाल (इन्दौर)। श्री सूरजमल बोबरा (इन्दौर) ने ऐतिहासिक तथ्यों, पुरातात्विक साक्ष्यों, जन - जन अर्हत् वचन, अप्रैल 2000
SR No.526546
Book TitleArhat Vachan 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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