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________________ ऋषभ निर्वाण भूमि - अष्टापद : भगवान ऋषभदेव का निर्वाण अष्टापद पर्वत से हुआ। अष्टापद का अमर नाम कैलाश पर्वत भी कहा गया है। भगवान ऋषभदेव ने अपने विशाल मुनि समुदाय के साथ हिमालय की इस पवित्र श्रृंखला अष्टापद से मुक्ति पाई थी इसलिये इस पर्वत का कण-कण पवित्र है। यह सत्य है कि जैन समाज द्वारा इस निर्वाण स्थली की घोर उपेक्षा हुई है। विगत दो दशकों से श्री देवकुमारसिंहजी कासलीवाल व श्री कैलाशचन्दजी चौधरी के अथक प्रयासों से बद्रीनाथ धाम के प्रवेश द्वार पर एक स्थान निर्वाण भूमि के रूप में विकसित किया जा रहा है। इस बात का प्रमाण नहीं मिलता है कि आदिनाथ का निर्वाण इसी मन्दिर की भूमि पर हुआ है। इस निर्वाण भूमि का विकास करने वाली संस्था आदिनाथ आध्यात्मिक अहिंसा फाउण्डेशन के पदाधिकारीगण इस बात का दावा भी नहीं करते हैं कि यही निर्वाण स्थल है किन्तु निर्वाण भूमि कैलाश पर्वत की पर्वत श्रृंखला के ही एक भाग पर प्रतीकात्मक रूप से इसका विकास किया गया है। अष्टापद कैलाशंदेव म.आदिनाथ निर्वाण स्थली बद्रीनाथ में निर्मित ऋषभ निर्वाण भूमि का एक दृश्य अष्टापद मार्ग स्थिति : कैलाश पर्वत 19000 फीट की ऊँचाई पर चीन अधिकृत क्षेत्र की हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। भारतीय वीसा प्राप्त कर यहाँ पहुँचने के 3 मार्ग हैं - 1. पूर्वोत्तर रेलवे के टनकपुर से सड़क मार्ग द्वारा पार लीपू नामक दर्रा व्हाया पिथौरागढ़ पहुँचा जा सकता है। गण 2. काठगोदाम स्टेशन से सड़क मार्ग द्वारा कमपोट (जिला अलमोडा) से पैदल यात्रा कर ऊँट जयंती तथा कंगूरी बिंगरी घाटियों को पार करके पहुँचा जा सकता है। 3. उत्तर रेलवे के ऋषिकेश स्टेशन से जोशीमठ सड़क मार्ग से पदयात्रा कर नीवीघाटी पार करके कैलाश पर्वत पहुँच सकते हैं। उत्तराखंड हिमालय के पास स्थित कैलाश पर्वत तथा मानसरोवर इस क्षेत्र के पवित्र २० अर्हत् वचन, अप्रैल 2000
SR No.526546
Book TitleArhat Vachan 2000 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size6 MB
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