SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डा. भाऊराव पाटिल भी जैन थे। "मानवता के लाभार्थ अंतरिक्ष अनुसंधान" श्री विक्रम साराभाई का लक्ष्य था। उनकी स्मृति में 30 दिसम्बर 1972 को जारी डाक टिकट (क्रमांक दस) पर उनके चित्र के साथ एक राकेट तथा शान्ति का प्रतीक कबूतर अंकित है। सामाजिक कार्यकर्ता और जनसेवी पद्मभूषण डा. कर्मवीर भाऊराव पाटिल ने अपना सारा जीवन ग्रामीण जनता को शिक्षित करने तथा दलितों और शोषितों के उत्थान में लगा दिया। उन पर 9 मई 1988 को जारी टिकट (क्रमांक ग्यारह ) पर उनके चित्र के साथ ही एक साक्षरता कक्षा अंकित है। जैन दर्शन और प्राकृत भाषा के विश्व विख्यात विशेषज्ञ डा. जगदीशचंद्र जैन ने 80 से अधिक पुस्तकें तथा अनेक शोध पत्र लिखे। महात्मा गांधी की हत्या के संबंध में सन् 1949 में लाल किला दिल्ली में चले मुकदमे में वे मुख्य गवाह थे। उनकी स्मृति में भारतीय डाक विभाग द्वारा 28 जनवरी 1998 को दो रुपये मूल्य का एक डाक टिकट (क्रमांक तेरह ) जारी किया गया जिस पर डा. जगदीशचंद्र जैन के चित्र के साथ दो प्राचीन सील भी मुद्रित है जिनमें से एक पर तीन जैन तीर्थकरों की खड्गासन प्रतिमायें प्रदर्शित है। तेरहपंथ श्वेताम्बर सम्प्रदाय के जैन संत आचार्य तुलसी ने जीवन में मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठा के लिये "संयम ही जीवन है" घोष वाक्य के साथ अणुव्रत आन्दोलन का प्रवर्तन किया था। उन्होंने सभी 32 जैन आगमों का समीक्षात्मक संस्करण प्रकाशित कराया तथा जैन विश्व भारती की स्थापना की जिसे भारत सरकार ने मान्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिया। उनकी 84 वीं जन्म जयंती पर 20 अक्टूबर 1998 को तीन रुपये का एक डाक टिकट (क्रमांक चौदह) जारी किया गया। इस पर आचार्य तुलसी तथा अणुव्रत आन्दोलन का प्रतीक चिह्न अंकित है। - भारतीय डाक विभाग द्वारा देश के अनेक दर्शनीय स्थलों के डाकघरों में उस स्थान से संबंधित चित्र युक्त विशेष मोहर नियमित रूप से लगाई जाती है। इनमें भी कुछ स्थल जैन धर्म से संबंधित है। ऐसी सर्वाधिक मोहरें कर्नाटक प्रदेश में लगाई जा रही हैं। ये हैं ‘श्रवणबेलगोला (बाहुबली), बदामी (जैन गुफा), पट्टकदल (जैन मंदिर), कारकल (बाहुबली), धर्मस्थल (बाहुबली) । मध्यप्रदेश में विश्व प्रसिद्ध खजुराहो में जैन और शैव दोनों मतों के कलात्मक मंदिर स्थित है। इसी प्रकार महाराष्ट्र के एलोरा में भी वैष्णव एवं जैन गुफायें हैं। गुजरात में स्थित पालीताना तथा राजस्थान में स्थित देलवाड़ा जैन मंदिरों के लिये विख्यात हैं। यहाँ भी नियमित विशेष मोहरें लगाई जाती हैं। जैन धर्म से संबंधित अनेक कार्यक्रमों, पंचकल्याणकों, सम्मेलनों, प्रदर्शनियों, जयन्तियों आदि पर भी आयोजकों द्वारा विशेष कव्हर जारी किये गये हैं और भारतीय डाक विभाग द्वारा जैन धर्म संबंधी चित्रों व नारों वाली विशेष केन्सिलेशन मोहरें लगाई गई हैं। शाकाहार और जीव दया से संबंधित कुछ नारों वाली विशेष मोहरें भी भारतीय डाक विभाग द्वारा विभिन्न आयोजनों के अवसर पर लगाई गई हैं। इन्हें भी "जैन धर्म और फिलाटेली" विषय में शामिल किया जा सकता है। ऐसे कव्हर और केन्सिलेशन्स की संक्षिप्त सूची यहाँ (अगले पृष्ठ पर) प्रस्तुत है। अर्हत् वचन, जनवरी 2000 19
SR No.526545
Book TitleArhat Vachan 2000 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year2000
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy