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________________ हित करें एवं विश्व के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करें। महासमिति द्वारा प्रारंभ किया गया यह एकता शंखनाद समारोह समाज के समक्ष उपस्थित सभी समस्याओं को हल करने में सहायक सिद्ध हो। यही मेरा इस शुभ अवसर पर मंगल आशीर्वाद है।' माननीय वित्तराज्यमंत्री श्री धनंजय कुमार से मंच पर रखी गई तीन माँगें निम्नवत् 1. गोवंश संरक्षण एवं गोवध निरोध हेतु गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें। 2. जैन समाज की शिक्षण संस्थाओं एवं धर्मायतनों की रक्षा हेतु जैनों को धार्मिक अल्पसंख्यक घोषित करें। 3. माँस निर्यात बंद करें। आपने इन तीनों के प्रति अपनी सहमति जताते हुए अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया। __ उद्घाटन सत्र को राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री प्रदीपकुमारसिंह जैन कासलीवाल एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री माणकचन्द जैन पाटनी ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का सशक्त संचालन केन्द्रीय प्रचार मंत्री डॉ. अनुपम जैन ने किया। आभार माना श्री प्रवीण जैन पाटनी ने। मध्यकालीन चर्चा सत्र में अनेक समसामयिक विषयों पर वक्ताओं ने अपने विचार रखें तथा संगठन को मजबूत करने, जैन धर्म की प्राचीनता के प्रचार-प्रसार, माँस निर्यात को बंद करने आदि पर अनेक प्रस्ताव पारित किये गये। रात्रिकालीन सम्मान समारोह में साहू जैन ट्रस्ट द्वारा महासमिति के माध्यम से प्रवर्तित श्रीमती रमादेवी महिला प्रतिभा पुरस्कार से डॉ. नीलम जैन गाजियाबाद को सम्मानित किया गया। विगत 5 वर्षों में महासमिति के विकास में उल्लेखनीय योगदान देने वाले 19 वरिष्ठ समाज सेवियों तथा इस वर्ष घोषित 5 राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कारों से श्री शैलेष कापडिया (जैनमित्र - सूरत), श्री चिरंजीलाल बगड़ा (दिशाबोध - कलकत्ता), श्री जगदीश प्रसाद जैन (जैसवाल जैन दर्पण - आगरा), डॉ. सुदीप जैन (प्राकृत विद्या - दिल्ली) तथा श्री माणिकचंद जयवंतसा भिसीकर (सन्मति - कोल्हापुर) का सम्मान किया गया। इसी अवसर पर महासमिति द्वारा जारी वार्षिक कैलेण्डर के अनुरूप श्रेष्ठ कार्य करने वाली तीन इकाइयों को भी सम्मानित किया गया। प्रात:काल पत्रकार सम्मेलन एवं महिला सम्मेलन का आयोजन हुआ। महिला सम्मेलन में समाज कल्याण बोर्ड भारत सरकार की अध्यक्षा - श्रीमती मृदुला सिन्हा (दिल्ली) तथा महासमिति महिला प्रकोष्ठ की मंत्री श्रीमती सुधा मलैया (भोपाल) ने उद्बोधन दिया। 5 मध्यान्ह में माँस निर्यात निरोध आन्दोलन की पुरस्कृत सम्पादकगण पदाधिकारियों के साथ रूपरेखा बनाने हेतु एक विशेष संत्र का आयोजन किया गया जिसमें श्री महेन्द्र पाण्ड्या तथा ब्र. रवीन्द्र कुमारजी जैन का आचार्य श्री की मांगलिक उपस्थिति में सम्मान किया गया। 76 अर्हत् बचन, अक्टूबर 99
SR No.526544
Book TitleArhat Vachan 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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