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________________ स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अत: आज की भागदौड़ की थकावट और मानसिक अशान्ति को दूर करने में, स्वस्थ वातावरण निर्मित करने में, संस्कारों को बल देने में, प्राकृतिक चिकित्सा हेतु पेड़ पौधों एवं फूलों का विशिष्ट महत्व रहता है। आम आंवला क्षेत्रानुसार छायापार पीपल क्र. नाम पौधे किस्म विवरण दशहरी, लंगड़ा छायादार, फलदार। अरहनाथ भगवान को आम्र वृक्ष के नीचे केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। कंचन, चकैया औषधि में उपयोगी एवं फलदार बहेड़ा (अक्ष) लोकल किस्म औषधियों में उपयोगी। पुष्पदंत भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ। कटहल छायादार एवं फलदार वटवृक्ष लोकल किस्म छायादार। आदिनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। लोकल किस्म औषधि , छायादार। अनन्तनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। देवदार लोक किस्म औषधि , छायादार। अभिनन्दननाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। 8. पलाश (छैला) लोकल किस्म इसके लाल फूलों का रंग निकाला जाता है, जलाऊ लकड़ी। श्रेयांसनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। भगवान बुद्ध को यह पसन्द था इसका विवरण ऋग्वेद में भी मिलता है। 9. कदम्ब (कृष्ण वृक्ष)लोकल किस्म वासुपूज्य भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। गीता में कदम्ब के वृक्ष का संबंध भी कृष्ण से बताया है। 10. वकुल (बकायन) लोकल किस्म नमिनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। नीले सुगंधित फूल आते हैं। गोल छाया रहती है। ग्रीष्म काल में अच्छा लगता है। 11. शाल वृक्ष लोकल किस्म जलाऊ लकड़ी, औषधि। संभवनाथ, अभिनन्दन, पुष्पदंत, महावीर भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। सिरस लोकल किस्म इमारती लकड़ी, चारा प्राप्त होता है। 13. तेन्दू लोकल किस्म फल वृक्ष एवं इमारती लकड़ी। श्रेयांसनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। अशेक वृक्ष पेन्डुला या शोभायमान पौधा। मल्लिनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। सीता अशोक ऋग्वेदों में कामदेव के साथ इसका वर्णन आया है। 15. चम्पक वृक्ष लोकल किस्म पुष्प सुगंधयुक्त पौधा। मुनिसुव्रतनाथ भगवान को केवलज्ञान प्राप्त हुआ था। हरसिंगार लोकल किस्म इसके फूलों को केशर की जगह प्रयोग किया जाता है। (स्यारी) नींबू, मौसम्मी, क्षेत्रानुसार फलदार पौधे, कम लागत में पैदा होकर अधिक उत्पादन देते हैं। अमरूद, अनार उन्नत जातियाँ 18. गुलाब, क्रोटन, उन्नतशील वडेड शोभायमान फूल एवं पंक्तियां मोरपंखी, कोलियस प्राप्त - 1.7.99 * वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी, जीवन सदन, सर्किट हाउस के पास, शिवपुरी (म.प्र.) 68 अर्हत् वचन, अक्टूबर 99
SR No.526544
Book TitleArhat Vachan 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages92
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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