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________________ ज्ञानपीठ के प्रांगण से संतों के सान्निध्य में श्रुत पंचमी दिगम्बर जैन उदासीन आश्रम एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा श्रुतपंचमी पर्व पर परमपूज्य ऐलाचार्य श्री नेमिसागरजी, आर्यिका श्री दृढ़मती माताजी ससंघ तथा ऐलक श्री सिद्धान्तसागरजी के मंगल सान्निध्य में धर्म सभा का आयोजन किया गया। सभा की अध्यक्षता संस्थाध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में श्री हीरालालजी जैन, अध्यक्ष-श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर उपस्थित थे। पूज्य आर्यिका माताजी ने अपने पावन उद्बोधन में कहा कि आचार्यों एव साधु सन्तों द्वारा प्रणीत धर्म ग्रन्थों का स्वाध्याय, मनन और चिन्तन ही श्रुतपंचमी पर्व का उद्देश्य है। संस्थाध्यक्ष श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल ने आश्रम ट्रस्ट एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी दी। ज्ञानपीठ के सचिव डॉ. अनुपम जैन ने श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट, भावनगर के सहयोग से कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ में चल रही जिनवाणी के संरक्षण की योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। ज्ञातव्य है कि कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ द्वारा भावनगर के उक्त ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में प्रकाशित जैन साहित्य के सूचीकरण की योजना संचालित है। श्री हीरालालजी जैन ने मुख्य अतिथि रूप में अपने उद्बोधन में सम्पूर्ण देश में विकीर्ण जैन पांडुलिपियों के संरक्षण, संकलन एवं सूचीकरण की आवश्यकता प्रतिपादित की एवं कहा कि पांडुलिपियों का संरक्षण एवं अप्रकाशित दुर्लभ ग्रन्थों के प्रकाशन से ही श्रुत पंचमी पर्व मनाने की सार्थकता है। पूर्वजों द्वारा प्रदत्त अमूल्य निधि का यदि हम संरक्षण न कर सके तो युग हमें कभी माफ नहीं करेगा। इस हेतु श्री सत्श्रुत प्रभावना ट्रस्ट द्वारा किये जा रहे कार्यों एवं कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ परिसर में ट्रस्ट द्वारा शुरू की जा रही पांडुलिपियों के सूचीकरण की योजना की महत्ता बताई। सयताभावनाट्रस्ट शुभारम्भ अवसर का दृश्य इस अवसर पर जैन विद्या के अध्येताओं एवं समग्र जैन समाज द्वारा प्रकाशित पत्र पत्रिकाओं की सूची की पुस्तिका का विमोचन किया गया तथा जैन पांडुलिपियों के सूचीकरण की महत्वाकांक्षी योजना का कम्प्यूटर के माध्यम से शुभारम्भ किया गया। संचालन ब्र. अशोकजी ने किया। इस अवसर पर श्री ब्र. अनिलजी, अधिष्ठाता - उदासीन आश्रम, सभी ब्रह्मचारीगण, श्राविकाश्रम की बहनें एवं श्री शैलेष देसाई, ट्रस्टी भावनगर भी उपस्थित थे। राष्ट्र की धड़कनों की अभिव्यक्ति - हिन्दी का प्रमुख राष्ट्रीय दैनिक नवभारत टाइम्स नवभारत टाइम्स) अर्हत् वचन, जुलाई 99
SR No.526543
Book TitleArhat Vachan 1999 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnupam Jain
PublisherKundkund Gyanpith Indore
Publication Year1999
Total Pages88
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Arhat Vachan, & India
File Size5 MB
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