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________________ alo. 24-3-33 પ્રબુદ્ધ જૈન. હિન્દી વિભાગ. ભારતવર્ષીય પારવાલ મહાસમ્મેલન પર सम्मति. गत ता. १५-१२-३२ के 'प्रबुद्ध जैन' के अंकमें श्रीयुत समाज हितैषी समरथमलजी सींधीने. पोरवाल महासंमेलन होनेके लिये जो निवेदन प्रगट किया है। उसपर निम्नोक महाशयों के तर्फसे सुसम्मतियें दी गई है। हर्षका विषय है कि पोरवाल संम्मेलन अभतिक कभी नहि हुवाथा वो होता हैं इसमें समरथमलजी सींधी जीने जो परिश्रम उठाया है यह धन्यवादके लायक है। नवयुवकोंको विनयपूर्वक प्रार्थना है कि पोरवाल महा संमेलन पर अपनी अपनी सुसंमतिमां प्रगट करे आशा है कि कुरीतियां मिटानेसे अपनी उन्नति होगी अपनी समाज में कन्याविक्रय; बाललग्न वृद्धलग्न आदि जितने हानीकारक रिवाज है फिजुल खर्च दिनदिन बढ़ता गया है, उन सबका नाश करनेके लिये संमेलनका अच्छा मौका है और सबको भाग लेनेके लिये सूचित कियाजाता है आपका शीवराज चेतल और दुसरा पचीस गुदे जुदे गांवो के सद्गृस्था की सही है । होली नहीं मनाई गई. परताबगड ( मालवा ) में "जैन श्वे० मित्र मंडल " की तरफ से एक अपिल छपवाकर जनता में वितीर्ण कराई गईथी परिणाम स्वरुप होली के दिनों गाली आदि विमात्स बर्ताव बंद रहा। कन्या --विक्रय परतावगड ( मालवा ) यहाँ वीसा हुमड जाति में धडाधड कन्या - विक्रय हो रहे है। विशेष परिचय के लिये आगामी अंक देखो। भरतपुर में - श्रीमाल और ओसवाल भाईयों में बेटी व्यवहार चालु हो गया। फाल्गुन सुदी २ को एक विवाह आनंद पूर्वक हुवा, दोनो जाति के सज्जनाने वैवाहिक कार्यों में समाधान पूर्वक भाग लियाथा । - पीगड शहर - ( जोधपुर स्टेट ) के अंदर बढी म्यातके ओसवालोंमे कर सज्जन ऐसे अत्याचारी है जो अपनी बहन बेटी को रूपया लेकर बेचते है याने कन्या- विक्रय बढाकर समाजको बिल्कुलही डूबाना चाहते हैं और उन रुपयोंसे आप माल मलीदा उडाते है। यह समाज के लिये बहुत दुःखकी चत हूँ इसलिये यहांकी जाति का फर्ज है कि ऐसे घोर अत्याचार बंध करवाके समाजको उन्नतिके राह पर पहुंचाये। आगरा-ता २ फरवरीसे आठ फरवरी तक श्री जन पंचकल्याण के महोत्सव बडीधामधूम से मनाया गया इसमें दीगंवर जैन श्रीयुत बिहारीलालजी जैसवाल और उनकी भगिनी श्रीमति लाडोबाईने मिलकर करीव साडेतीन लाख रूपया खर्च किया । सातदिनमें धार्मिक अनुष्ठानके बहाने साडेतीन लाख रूपया स्वाहा हो गया इससे समाजको कुछ फल प्राप्त नहि हुवा | यदि इन साढतीन लाख रूपयोंसे जन समाजमें एक कोलेज स्थापित कियाजाता तो समाजको कितना लाभ मिलता ? रतलाम- जबलपुर के एक धनिकने यहांकी विधवा की पुत्री के साथ काफी संपतिसे सोदा तयकर सादी करने आये थे ૧૭૫ स्थानिक जनताने उनका खूब विरोधकिया पुलिस बुलाई गई और खूब मारपीट हुई और अंतमे पुलीसके सहयोग से उस बालिकाका लग्नर्वेदपर बलिदान दियागया कहते है कि स्थानिक • महाजन विसुरुथे इनसे उपरवट होकर विधवाने अपनी पुत्रीका ब्या करदीया और महाजनके कितनेक आदमी को तिरस्कार कराया है। समाज सावधान । 'अखिल जनोका दैनिकपत्र- दिगंबर श्वेतांबर और स्थानकदैनिक पत्र देहलीसे निकालने की योजनाकी जा रही हैं इसके वासी समस्त जनोकी औरसे 'वीर' नामक एक हिंदी उर्दुका लिये एक लाख रूपये के सेर बेचकर एक लीमीटेड कंपनीद्वारा प्रेस खोला जायगा इसका उद्देश होगाकि राष्ट्रीयता की रक्षा करते हुए जैन मात्रका संगठन और उसके अधिक की रक्षा करना ! हाला - (सिंध) में मुनिश्री विनय विजयजीके सदुपदेशसे यहां के संधने सर्व संमतिले निचेलिखे हुए ठराव पास कीये । विदेशी : 'खांड कोई भाई न मंगवावे, मृत्युभोज औसर नुक्ता एकदम बंद कर दिया जाय विवाहमें गालियां गाना एकदम बंद करदियाजाय, विवाहमें जो खर्च होता था उसमें कमी करदिया जाय और इससे जो रकम बचे उसको धारण खाते दे दीजाय । सब मुनीराजोंको चाहिये के ऐसे अनुकरणीय उपदेश दे कि जिससे समाजकी उन्नति हो । कुचेरा यहांके जैनमंदिरमें रात्रिके समय चोर ५ वाले तोडकर २५० ) का माल चूरा ले गये, पुलिस पत्ता लगा रही है अभीतक चोरीका पत्ता नहि मिला है। मोटर सहस- उदेपुर मेवाड और राणकपुर पंचतीर्थंके बीच मोटर सर्वांस चालु की गई है उदेपुरसे सिर्फ छ घंटे में राणकपुर मोटर पहुंचती है केसरीयाजी और मारवाडकी पंचतीर्थ यात्रा करनेवाले को यह सुभीता होगया है उदेपुरसे राणकपुरजीका साढेतीन रूपया किराया नियत किया गया है 1 बागणवाड - (मारवाड) में पोरवाल संमेलन व चैत्र मासकी आर्यावलकी ओलीपर बहुत से आदमी आयगें इसलिये यडी तैयारी चल रही है। आचार्य विजयवल्लभसूरि और अनेक साधुभा यहां उपास्थित होगें समाजकी उन्नति चाहने वाले सभी भाइओं को चाहिए कि वे इस अवसर पर बामनवाडाजी पहुंच जाय और मारवाडमें जो कुरूढियां और व्हमा ने अपना साम्राज्यं जमा रखा है उसको उरवाडकर फेंक और समयजोन्नतिमें आगे बढे । आवश्यक सूचना "बुद्ध" में हिन्दी विभाग रखनेका निश्चय किया गया हैं इसलिये 'हिन्दी' लेखकों और संवाद दाताओं की आवश्यक्ता है. समाचार देनेवाले सेवाभावी युवकों को पोष्ट खर्च दिया जायगा । लेखकासे समाज की उन्नति कैसे हो, कुरुढिया और पोपशाही का नाश कैसे हो आदि जुड़े जुड़े विषय पर लेख भेजें लेख शुद्ध हिन्दी में कागज के अक बाजु शाहीसे लिखा: हो, नाम प्रगट नहीं करना हो तो लिखना चाहिये । ग्राहकों से 'प्रबुद्ध' का आगामी अंक वी. पी. से भेजा जायगा, जो ग्राहक न रहना चाहते हो वे कृपाकर लिख भेजे वृथा पोष्ट खर्च नहो । संपादक.
SR No.525918
Book TitlePrabuddha Jivan - Prabuddha Jain 1933 Year 02 Ank 11 to 45 - Ank 39 40 and 41 is not available
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrakant V Sutariya
PublisherMumbai Jain Yuvak Sangh
Publication Year1933
Total Pages268
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Prabuddha Jivan, & India
File Size30 MB
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