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________________ ०१-४-33 १८3 'હિન્દી વિભાગ, उनको जाति वाटा यदीसे फेंद करे तो उसे अपनी जातिय स्थान दिया जाय। जाति के चंद रस्तुस्थिति के अभ्यासियों संकुचित बाहिक क्षेत्र या ने इस मर्डको बही दवा बताई है। क्या कारण है, जब पिछले दस वर्ष में भारत की जन पिसा हुमद युवक मंडल की 'इम क्या चाहते ह' नामक सख्या ३३. करोड से ३४ करोड हो गई, सब जनों की संख्या.. प्रचिका मने पडी है भार उसपर गंभिरता से विचार किया . विसा १२. काय से 12 लाख रह गई. जैन समाज मांजा विध हुमड़ जाति की वर्तमान परिस्थिति के साथ तुलना करते मेरा पेटा जातियों में विभिन्न है, और जाति-पाया अंदी समाज अभिप्राय है कि परिस्थिति का सामना करने के लिये पत्रिका के हास का मुख्य कारण है। जन धन भगीकार करने वालों कारगार है। का जैन जातियों में स्थान न देने के सिवाए जैन अंतर-जाति , अंत में तमाम जैन बन्धुली से अपील करताई कि विकाई को मनाई मी हास के कारणों में एक प्रबळ कारण यह यशा केवल बिसरा हुमट जाति की ही है ऐसा न माने है। यही जाहय है जो कम्पा-विका और बाल-विवाह जैसी-सारे जैन समाज की यही दशा है और संबके लिये वैवाहिक जिंदनिय और नाशकर प्रधाएँ प्रचलित है। "मेसे चर्चा पा . शिव शिवना अधिक विस्तीर्ण होगा इतनी ही अधिक सुविधा विपना सत्या-विक्रय है. और वह जग समाज की अंगरुप चर कन्या की पसंदगी के लीय प्राप्त होगी। संबन्ध इसी प्रकार चिसा हुमड जाति के संबन्ध में है। जो ने और परिस्थीती का सामना करने के लिये तयार इस प्रथा से सारी दुमत, सारी प्रतिमा का नाश हो रहना चाहिये ।। ० अम्बासी। गया है और धर्मका यागना दाग बन गया है । दिसा हुमट जन युवक गंडल के -सतत चार वर्ष पर्यन्त इस रुद्री के विरुद्ध पोर आन्दोलग जाती रहते मो इस जाति में केवल प.सामगढ प्रभु-भाटेवियास पुण२५त्रीसामने ही मात्र दो महीने के अन्दर कम्पा-विक्रय के चार बनाय 'संभायार. मापनास-सेवा भावी युवो, बनवाना एक शर्म का विपन है और इसकी गंभिरता इस पाटेगावाभावि. y कारण अधिक भयानक गबर आती है कि यह माय जाति' के उन आगवाना के लिये हुव है जो भावकदार सदगृहस्थों : - ... व्यवस्था प्रधानन की श्रेणी में गीने जाते है आर धामीक विषयों में अच्छा दखल रखते है। मेरा इरादा इस दुसकर विषान की चची लगवान भावीरता भाभीत्या में उतर कर किसी का दिल दुखाने का नहीं है, वरन् में નાખ્યાને ઉપસર્ગ થયે હું તે પવિત્ર इसके कारणों को बताते हुये दिखाना चाहता हूं कि आखिर ये बनावं क्यों चमते है . . .नित तीर्थ क्षेत्र की संकुचितता के कारण समाज के आमेरान टूर... श्रीमाभगवामा दर्जी ५-७ वर्ष के बच्चों का गठनोदा सगाई से करना आवश्यक समझते है और इसका कारण योग्य पर नहीं ..... वान'यत! - मिलने का बताया जाता है, दुसरी पंक्ती के वे भागेचान है। जो अयोग्य बालकका गठनोदा पन्या विक्रपसे करते है, OM यात्राणु मारी. क्षेत्री यादी विधि कितनेक ऐसे युचाने के लिये लदालियों को कभी है जो विधान भवाशेमा यात्म याना अपनी जबाबदारी समजे दुचे यशर ओंकात, की शक्ति रयते है, कितनके ऐसे है जो अपनी जरूरी बात को पूरा करने पैसा उत्सवमा तभन मात्र देते और लेते है। ..... निमत्र छे.. बीसा टुमद जातिकी कुल मनुष्य संख्या ३२६० तमाममान्तः से संबन्ध जारी न होने के कारण परतांबटग चाली का संसार मायार्थ विय स रिश्व२७ माह मात्र ६०७ मनुष्यों में समाजाता है। क्षेत्र विस्तीर्ण करने के - મુનિઓના દર્શન કરવાનો લાભ મળશે लिये आगेबानॉन प्रयास नहीं किया और जीम अभ्यासियाने इसके लिये प्रयत्न किये उनका विरोध उन आगेयानों में किया विमणभत्रीनशनीपwिa भारत जिन्हें कठीनाई नहीं पाती। ऐसी म्यून संरक्षक, जाति में.. . .. उपर बयान किये बनाद बनना मामुली बात है। .. . इसका उपाय मात्र विवाहिक क्षेत्र विस्तीर्ण करनारे साथ साथ और इस मकसद की पूर्वी लिये जातिके आगेबानी द्वारा शाति सुधा२०४।- १२वानी ॥ सुंदरता दूसरी जातियों के साथ अंदेशे चलाने के खीलाऐ यह दराव छे. किया जाना आवश्यक है कि "किसी भी अन कामको खान्दान सानप२ना उत्सव. प्रचारकानु'मास कम्पा के साथ विवाह किया जा सके और देने वालों को . . .....साभत्र छ......
SR No.525797
Book TitlePrabuddha Jivan - Prabuddha Jain 1933 04 Year 02 Ank 23 to 26
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandrakant V Sutaria
PublisherMumbai Jain Yuvak Sangh
Publication Year1933
Total Pages40
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Prabuddha Jivan, & India
File Size3 MB
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