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श्रुतसागर
मार्च-२०२०
वाचक कविश्री गुणविनयजी कृत ४ अप्रगट कृतिओ
गणि सुयशचंद्र-सुजसचंद्रविजय विक्रमनी १७मी शताब्दिमां खरतरगच्छनी परंपरामां घणा प्रभावक आचार्यभगवंतो थया। जेमांना एक एटले आ.श्री. जिनचंद्रसूरिजी। तेओश्री पोते समर्थ विद्वान तो हता ज साथे साथे मंत्रसाधनानुं बळ पण तेमनी प्रतिभामां वधारो करतुं । तेओ ज्यारे पोतानी विद्वान शिष्य मंडळी साथे बादशाह अकबरने मळ्या त्यारे सम्राट पोते पण तेमनी प्रतिभाथी अंजाया हता अने माटे ज बादशाहे अमारि विगेरेना केटलाक फरमानो लखावी तेमने भेट आप्या होवा पण केटलाक इतिहासकारो नोंधे छ।
आपणे आगळ जोयुं तेम तेओ पोताना विद्वान शिष्यवृंद साथे ज्यारे सम्राट अकबरने मळ्या त्यारे ते शिष्योमांना एक हता आपणा कृतिकारश्री उपा. गुणविनयजी। जो के तेमना ग्रहस्थ जीवननो, माता-पितादि परिवारनो कोई परिचय क्यांक मळतो होय तेवू ध्यानमां नथी, परंतु उपा. जयसोमजीना शिष्य तरीके तेओ दीक्षित थया हता तेवी नोंध तेमना पोते रचेला ग्रंथोनी प्रशस्तिमां जोवा मळे छ।
उपाध्यायजी महाराज प्राकृत/संस्कृत भाषाना उद्भट विद्वान तो हता ज, वळी तेओ मारुगुर्जरादि भाषाना समर्थ कवि पण हता। व्याकरण, कोश, छंदादि विषयोमां तेमनी गति अस्खलित हती, तो सिद्धांतना, दर्शनना ग्रंथोमां तेमनी मति असाधारण हती। ग्रंथ मंडनात्मक होय के खंडनात्मक, काव्य ऐतिहासिक होय के साहित्यिक प्रायः दरेके-दरेक विषयमां तेमनी कलम अविरतपणे वहेती। अने तेथी ज रघुवंश, नलदमयंति चंपू, कोचरव्यवहारी रास जेवा अनेक ग्रंथोनी रचना द्वारा तेमणे साहित्य क्षेत्रे बहोळं योगदान आपेलुं आपणे जोई शकीए छीए । तेमना द्वारा रचित कृतिओनी सूचि निम्न प्रकार छ। १. मूर्तिपूजामतस्थापन सज्झाय २. नेमिदूत की संस्कृत टीका ३. छ चैत्य स्तवन-जेसलमेरस्थित ४. जिनसिंहसूरि गीत ५. जिनदत्तसूरि जिनकुशलसूरि स्तुति ६. कीर्तिरत्नसूरि जिनभद्रसूरि स्तुति ७. जिनकुशलसूरि स्तुति ८. अजितजिन स्तुति ९. जिनचंद्रसूरि जिनसिंहसूरि पद १०. जिनकुशलसूरि गीत (कृतिसंख्या-८) ११. देवराजवच्छराज चौपाई १२. आषाढभूति चौपाई
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