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श्रुतसागर
फरवरी-२०२० प्राचीन पाण्डुलिपियों की संरक्षण विधि
राहुल आर. त्रिवेदी (गतांक से जारी) भौतिक अपघटन
पाण्डुलिपियाँ प्रायः समय बीतने पर भौतिक रूप से क्षीण हो जाती हैं। भौतिक अपघटन के प्रमुख कारण प्रकाश, ताप, नमी व रखरखाव में उपेक्षा है। जहाँ प्रकाश, ताप और नमी पाण्डुलिपियों में प्रकाश-रासायनिक परिवर्तन व ऑक्सीकृत परिवर्तन लाते हैं, वहीं अनुचित रख-रखाव उन्हें अत्यधिक क्षति पहुँचाता है। इन घटकों के प्रभाव से कागज पीला पड़ जाता है व धीरे-धीरे इतना अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है कि उसे थोड़ा सा छूने पर भी टुकड़े-टुकड़े हो जाते हैं। (क) प्रकाश
प्रकाश के कारण कागज का अपघटन होना आम बात है। प्रकाश में पराबैंगनी किरणों की उपस्थिति अपघटन की दर को बढ़ावा देती है, हालाँकि यह भी माना जाता है कि कागज, कपड़े व चित्रों का क्षय दृश्य-प्रकाश से भी होता है। प्रकाश प्राकृतिक हो या कृत्रिम, वस्तु पर अवश्य प्रभाव डालता है। कृत्रिम प्रकाश की तीव्रता कम होती है, इसीलिए इसमें पराबैंगनी किरणें भी कम होती हैं। यह अधिक समय के पश्चात् हानि पहुँचाती है। यह भी देखा गया है कि कई बार प्रकाश कागज के रंग को पीला करने की अपेक्षा फीका कर देता है।
यह भी देखा गया है कि ताप के कारण भूरा हो चुका कागज प्रकाश के द्वारा प्रभावित पुराने कागज की भाँति प्रतीत होता है। अतः यह माना जाता है कि कागज के रंग का परिवर्तित होना प्रकाश व ताप का मिला जुला प्रभाव होता है। फीका व पीला होने की प्रक्रिया साथ-साथ चलती रहती है व इनमें से जो क्रिया अधिक प्रभावी होती है, उसीके अनुसार रंग परिवर्तन होता है।
पराबेंगनी किरणों से युक्त प्रकाश प्रायः अधिक विनाशकारी होता है। 360 nm. से कम प्रकाश उत्सर्जन से अपघटन की दर अत्यधिक बढ़ जाती है। यह भी देखा गया है कि कागज पर प्रकाश का प्रभाव उसमें उपस्थित अम्लीयता व कागज के पदार्थ पर निर्भर करता है। रंग व स्याही भी प्रकाश से प्रभावित होते हैं । इस अपघटन
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