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SHRUTSAGAR
February-2020 श्री भक्तिविजय कृत पुद्रलपरावर्त स्तवन
डॉ. शीतलबेन शाह कृति परिचय
प्रस्तुत कृति देशी भाषामां लखायेल एक बोधात्मक स्तवन छ। कवि श्री भक्तिविजय गणितानुयोग द्वारा आत्माने पोते केटलुं भटक्यो छे तेनुं भान करावे छे। श्री शांतिनाथ परमात्माने विनंती करीने कर्ता श्री कहे छे के अनंतो काळ हुं समकित पाम्या विना भटक्यो छु, तारी सेवा पण में करी नथी। तुं अमारा जेवा गरीबनो उद्धार करवामां धुरंधर छे एटले तमारी पासे आव्यो छु । पछी आखा स्तवनमां पुद्गलपरावर्त काळने सूक्ष्म गणतरीओ द्वारा दर्शावे छे। आंखना एक पलकारामां अथवा एक चपटी वगाडवामां असंख्यात समयो थाय छे । हजु बीजी रीते समयनुं मान दर्शावता कहे छे के एक कमळना ३२ पत्रोने एकसाथे सोयथी वींधे तेमां एक पत्रथी बीजा पत्रमा सोयने पसार थतां जेटलो समय लागे तेटलामां असंख्याता समयो पसार थइ जाय। एवा असंख्य समयनी एक आवलिका थाय १,६७,०२,०१६ आवलिका प्रमाण १ मुहूर्त थाय । ३० मुहूर्तनो एक दिवस, १५ दिवसनुं १ पक्ष, २ पक्षनो १ मास, २ मासनी १ ऋतु, ३ ऋतुनुं १ अयन, २ अयन- १ वर्ष, ७० लाख ५६ हजार करोड वर्षे १ पूर्व थाय। असंख्याता पूर्व- १ पल्योपम थाय। १० कोडाकोडी पल्योपमे १ सागरोपम अने २० कोडाकोडी सागरोपम प्रमाण १ उत्सर्पिणी अने १ अवसर्पिणी मळीने १ कालचक्र थाय। एवा अनंता कालचक्रे १ पगलपरावर्त्त थाय। द्रव्य, क्षेत्र, काळ, भाव आ चारे बादर अने सूक्ष्म मळीने कुल आठ प्रकारे पुद्गलपरावर्त थता होय छ । कर्ता कहे छे के आवा अनंता पुद्गलपरावर्त हुं भम्यो छु । जे जीव सम्यक्त्वने पामे छे ते अर्द्धपुद्गलपरावर्त्तमां मोक्षने पामे छे । तेथी प्रभुने विनंती करे छे के तारी सेवा कर्या वगर अनंतो काळ भम्यो छु तो हवे तारी सेवा करवानी तक आप जेथी मारो पण आ संसार कपाइ जाय, समकित पामी जाउं तो आवो घणो काळ मारे भटकवू न पडे। कर्ता परिचय
प्रस्तुत कृतिनी रचना प्रशस्तिना आधारे आना रचयिता श्री भक्तिविजय छ। जेमना गुरु वाचक श्री शुभविजयना शिष्य श्री नयविजय छ । प्रशस्तिमां कर्तानो समय प्राप्त थतो नथी, पण कोबा ज्ञानभंडारमा संग्रहित सूचनानुसार श्री भक्तिविजयजीनी
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