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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR January-2020 (ख) शैवाल शैवाल कागज के अपघटन में अधिक सक्रिय नहीं होते हैं। हालाँकि इन्हें कई बार ऐसे स्थानों में पाया गया है, जहाँ अत्यधिक सूर्य-प्रकाश आता है। सामान्यतया ये इमारतों की ऊपरी परतों, पत्थरों आदि पर अधिकतर पाये जाते हैं, न कि कागज पर। (ग) सिल्वर फिश सिल्वरफिश, चांदी जैसी चमकीली व मछली जैसे रूप के कारण यह Silver fish के नाम से जानी जाती है। यह ग्रंथालयों में अवश्य पायी जाती है। ये बड़ी तेजी से विकसित होती हैं व अंधेरे स्थानों पर रहना अधिक पसन्द करती हैं। ये कीट गोंद आदि चिपकाने वाले पदार्थों को अत्यधिक पसन्द करती हैं। (घ) कोक्रोच (तिलचट्टे) ___कोक्रोच भी एक ऐसा साधारण कीट है, जो सामान्यतया संग्रहालयों व पुस्तकालयों में पाया जाता है। भूरे व काले रंग के ये कीट विभिन्न प्रकार के कागज, पुस्तक की जिल्द, चमड़ा, कपड़े व अन्य कार्बनिक पदार्थो की सामग्री को हानि पहुंचाते हैं। उनका मल, जो काले रंग का होता है, पुस्तकों व पाण्डुलिपियों पर जम जाता है व इनके रंग को परिवर्तित कर देता है। (ङ) पुस्तक-कृमि पुस्तक-कृमि, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, कागज को खा जाते हैं व इसे पर्याप्त मात्रा में क्षतिग्रस्त कर देते हैं। ये सभी प्रकार के पदार्थों को खा जाते हैं व सेल्यूलोज़ को पचा लेते हैं। इनके अण्डे पुस्तकों की जिल्द पर या कागजों पर उपस्थित होते हैं। जब अण्डे फूटते हैं तो लाखों कीट पुस्तक को अपना भोजन बना लेते हैं व पूरी पाण्डुलिपि या पुस्तक में अनेकों छिद्र बना देते हैं। (च) दीमक दीमक, उष्ण कटिबंधीय व उप-उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले प्रदेशों में अधिक पाएजाते हैं ।येकिसीभीप्रकारकीलकड़ी केसामान,इमारतसम्बन्धीसामग्री,आलमारी, दरवाजों आदि को नष्ट कर सकते हैं। यदि पुस्तकें व पाण्डुलिपियों दीमक से प्रभावित हो जाती हैं तो बहुत शीघ्र नष्ट हो जाती हैं। यह एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए दीवारों पर मिट्टी से नलिका बनाते हैं। ये नलिकाएँ ही दीमक की उपस्थिति को दर्शाती हैं। ये ऐसे किसी भी प्रकार के पदार्थ पर आक्रमण करते हैं, जिसमें सेल्यूलोज उपस्थित होता है। For Private and Personal Use Only
SR No.525354
Book TitleShrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2020
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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