SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 21 SHRUTSAGAR January-2020 महीने जीवने आठ करोड़ रुंवाडा, एम सर्वशरीर आठमे महिने पूरुं बने छे। अने नव महिना गर्भमां माताना सुखे सुखी अने दुःखे दुःखी थइने मलमूत्रनी वच्चे उधे मस्तके रही अति दुःखनी यातना भोगवे छे । केवी यातना जीव भोगवे छे? तेने वर्णवता कवि कहे छे के तेना आठ करोड़ रुंवाडामां तपावेली सोयने भोंके, अने जे दुःख थाय, तेना करता आठ गणु वधु दुःख जन्म समये थाय छ । आवा दुःखमां जीवने धर्म तो सूझे ज क्यांथी? जन्म्या पछी पण पोतानुं जीवन माताना दुधना आहारथी टकावे छे। प्रथम १० वर्ष रमवामां, पछीना १० वर्ष भणवामां, पछीना १० वर्ष स्त्री- मुख जोवामां आसक्त, ३० थी ४० वर्ष पैसा कमाववामां अने ४० थी ५० वर्ष दीकरा-दीकरीने परणाववामां जीवनो समय पसार थइ जाय छे । आटलो समय तो धर्म करवानो विचार पण ते करतो नथी, इट्ठा दसकामां धर्म करवानो विचार करे छ । पण हवे इन्द्रियो ज काम करती नथी। काने बराबर संभळातुं नथी, आंखें झामर आवी जाय छे, एटले देखातुं नथी, तो धर्म क्यांथी करे? ७० वर्षनो डोसो थई जाय छे । एनुं की, कोई करे नहीं अने शरीर रोगग्रस्त थई जाय छ। ८० वर्षनो थतां तो बेवड थईने चाले छे अने लोको तेना ऊपर सूग करे, खाटलामां सुवे तो ऊंघ पण आवे नहि, आखी रात खांस्या करे, दीकरानी वहु आदि कोइ तेने बोलावे पण नहि। एवा दुर्ध्यानमां मरीने परलोके सीधावे छे । तेना सगा वाहाला तेनो शोक करे, तेनो शुं अर्थ? जे जीव परमात्मपूजा अने साधु-साध्वी भगवंतोनी सेवा करे छे, ते ज जीव पोताना मनुष्यभवने सार्थक करी शके छे । बाकी सर्वजीवोना मनुष्यभव नकामा ज जाय छ । कर्ता परिचय __ प्रस्तुत कृतिना कर्ता श्री नन्नसूरि छ। आ कृतिमां कर्ताना नाम सिवाय बीजो कोई परिचय मळतो नथी पण आ नन्नसूरि उपकेशगच्छनी शाखा कोरंटगच्छना सर्वदेवसूरिना शिष्य होइशके तेवी संभावना लागे छे। जैन गूर्जर कविओमांजणाव्या प्रमाणे सं.१५४९नो प्रतिमा पर नो लेख नन्नसूरिनो मळे छे। आ उपरांत नन्नसूरिना सं.१५६९ना खंभातमां, सं.१५७३ मातरमांअनेसं.१६११ अनेसं. १६१२ ना प्रतिमा परनालेखो मळ्याछे । तेमुजब तेमना गुरु सर्वदेवसूरि छ । सर्वदेवसूरिना पण १४मी सदीना उत्तरार्ध अने १५मी सदीना पर्वार्धना लेखो मळे छे। जे परथी जणाय छे के आ कोरंटगच्छना सर्वदेवसरि नन्नसरिना संतानीय कक्कसूरिना पट्टधर हता। श्री नन्नसूरिनी अन्य कृतिओमां १० श्रावक सज्झाय, रचना सं.१५५३, २२ अभक्ष्य ३२ अनंतकाय सज्झाय, उपदेशमाला बालावबोध, विचार चोसठी, सं.१५५८नी रचना गजसुकमालमुनि सज्झाय, प्रभाती कडखो तथा विविधजिन For Private and Personal Use Only
SR No.525354
Book TitleShrutsagar 2020 01 Volume 06 Issue 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2020
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy