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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR 13 December-2019 ॥५१॥ ॥५२॥ ॥५३॥ रहंत आस गांव गांव मेघ जेम मोर ए, करंत चाह चंदज्यु घणा भवि चकोर ए जमातिदार ८ सच(च्च)धार पूजी जात जच्छयं६९, सुणे सुभाय श्रावकं मिले गर? सच्छयं । अनेक नारि गावती समुखि चालि(ली) आवयं, वडाप्रधान वांणियान मंडि(डी) पूजि(जी) पावयं गुडै निसांण घोर जोर मेघ जेम गज(ज्ज)यं, वडाल भेरि(री) फेरि(री) फेरि(री) झांझ ढोल वज(ज्ज)यं । वयंड याज५ साज वाज साव(च?)ता विराजयं, छत्तीस पुणि देखि वाव हंत वाट छाजयं०६ घणेसु घेर ऊछलंत घाघरां गुडी घणी, वजंत सख.............च्च गावता गुणी। बिछावणा करंत लाल खारवा पगांतलै, प्रधान सीस ताणि पाणि] पांभडी८२ पघे(?) पुलै प्रभावना करंत आणि(णी) श्रीफला सुपारियं, बुहारिनी पिधौलिकै ५ उपासिरो सवारियं ६ । जरी निलक चंद्रवा“ अनेक भांति छाजए, जिहांप सिरिपूजि आप पाटियै बिराजए सदा वखांण श्रावकांन जोडि पाणि सांभलै, भवि अनंत सांति कांति ध्रम्मध्यांनसुं मिले। मही भवे जिहां जिहां हुवै अनंत मानिता, इसि परै करै खरै सुभाव लोक आनिता दूहा – आणि(णी) भाव मांनै अधिक, देस देस देसोत। दरसण आवै दिलसुधै, गुर छत्तीसे गोत सतरासै संवच्छरै, छत्तीसै (१७३६) छत्रपति। ऊपडि आयो दल सबल, अजमेरै अस(स्व?)पति ॥५४॥ ॥५५॥ ॥५६॥ ॥५७|| ॥५८॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525353
Book TitleShrutsagar 2019 12 Volume 06 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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