SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR October-2019 उखर भूमिमां पडेली वर्षानी पेठे प्रायः धर्मना उपदेशनी प्रवृत्ति थाय छ। द्रव्यानुयोग अध्यात्म ज्ञाननो उपदेश ग्रहण करवाने श्रोता नीकळी शके विरला श्रोता मळे तेम छे। जैनधर्मपूजा प्रतिक्रमण, तप, जपादि क्रिया करनाराओ पैकी आत्मानुं शुं स्वरूप छे ते समजनारा प्रायः कोइ विरला देखाय छे, छतां पण व्यवहाराधिकार प्रमाणे फर्ज अदा करीने उपदेशप्रवृत्ति कराय छे। हाल पगे वा आव्यो छे अने केडे वा आव्यो छे । गमनागमनमा हजी अडचण पडती नथी। दवा चाले छे । जेवं प्रारब्ध बांध्यु होय छे, तेवू भोगव्या विना छूटको नथी। दीनताए भोगव्याकरतांसमभावेशूरतालावी भोगववामांरूचि, प्रवृत्ति रहेछ ।माणसानु चोमासु पूर्ण थवा आवशे। सूयडांगसूत्र व्याख्यानमां पूर्ण थशे । नवपदप्रकरणवृत्तिनां व्याख्यानमां बे पद पूर्ण थयां छे। भाव लावीने व्याख्यान कराय छे परंतु बाळजीवो तेमनी बुद्धिना अनुसारे ग्रहण करे छे। दरेक ठेकाणे व्याख्यान- महत्त्व अने तेनो सार खेंचनारा विरल कोइक मनुष्यो होय छे। बाकी गाडरीओ प्रवाह सर्वत्र वर्ते छ । जैनवाणीयाओने उपदेशनी असर थती होय अने ते कायम रहेती होय एम विचारतां, अवलोकतां मोटा भागे समजातुं नथी। छतां व्यवहारफर्जथी उपदेशप्रवत्ति तो सेववी पडे छे। धर्मरूचि, ज्ञानरूचि, उपदेशरूचि, साधुसेवारूचिवाळा जीवो प्रायः विरल देखाय छे, एमां शोक करवानी जरूर नथी। आगमना अनुसारे वस्तुतत्त्व विचारतां जीवोनी परिणति अनेक प्रकारनी देखाय छे तेथी उलटी समकितभावनी पुष्टि थाय छ । सं. १९७० ना आशो वदि १२. ता. १६-१०-१४ धार्मिक गद्य संग्रह भाग.१ पृष्ठ क्र.९२२-९२३ (अनुसंधान पृष्ठ क्रमांक. ३३ से) पूज्य साध्वीवर्याश्री चन्दनबालाश्रीजी ने अपने नादुरुस्त स्वास्थ्य को ही जिनशासन के लिए एक वरदान बना दिया है, विगत एक दशक से भी ज्यादा समय से इन्होंने निरन्तर अनेक उच्च दर्जे के सुसंशोधित प्रकाशनों को जिनशासन के चरणों में समर्पित करके अध्येताओं एवं आराधकों के लिए आराधना एवं आराधना का मार्ग प्रशस्त किया है। आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर परिवार का यह सौभाग्य है कि पूज्य साध्वीवर्याश्री ज्ञानमंदिर के ग्रंथों का सबसे ज्यादा उपयोग करने वाले महानुभावों में से एक हैं। पूज्य साध्वीश्रीजी के इस कार्य की सादर अनुमोदना के साथ कोटिशः वंदन। For Private and Personal Use Only
SR No.525351
Book TitleShrutsagar 2019 10 Volume 06 Issue 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy