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प्रकाशक
SHRUTSAGAR
October-2019 पुस्तक समीक्षा
डॉ. हेमन्त कुमार पुस्तक नाम - दीपालिकाकल्प संग्रह संपादिका - साध्वी श्री चन्दनबालाश्रीजी
भद्रंकर प्रकाशन, अहमदाबाद प्रकाशन वर्ष - वि.सं. २०६७ मूल्य - २५०/भाषा - संस्कृत एवं प्राकृत
भारतीय संस्कृति अध्यात्मप्रधान होने के कारण यहाँ प्रत्येक पर्व की अपनीअपनी एक विशेषता है तथा अधिकांश पर्व प्रायः किसी न किसी महापुरुष के जीवन में घटित प्रसंगों से जुड़े हुए हैं। तात्पर्य यह है कि कई भारतीय पर्व महापुरुषों से जुड़े हुए हैं और उनके जीवन में घटित घटनाओं की स्मृति में स्थापित हैं। यहाँ हमारा अभिप्राय विशेषतया नैतिक एवं धार्मिक-आध्यात्मिक पर्यों से है। यों तो भारतवर्ष में प्रत्येक जाति एवं धर्म में रौढिक एवं सामाजिक अनेक पर्व हैं, जिसमें से कुछ तो परम्परागत है जिसे भारतीय जनसमुदाय आज भी अपनाए हए है। इन पर्यों से लोगों को मनोविनोद एवं इन्द्रियपोषण की सामग्री सहजतापूर्वक प्राप्त हो जाती है। किन्तु उन पर्यों में न तो विवेक जागृत होता है और न आध्यात्मिकता का विकास होता है।
जैन शासन के सभी पर्व आत्मविकास की साधना में अनेक प्रकार से सहायभूत होते हैं। अन्तिम तीर्थंकर भगवान महावीरस्वामी के निर्वाण कल्याणक के साथ जुड़ा हुआ दीपावली पर्व अनेक आत्माओं के जीवन को अपूर्व आध्यात्मिक प्रकाश से आलोकित करता है। इस पर्व को केन्द्रित करके अनेक महापुरुषों ने संस्कृत, प्राकृत, गुजराती भाषा में गद्य एवं पद्य के स्वरूप में अनेक ग्रंथों की रचना की है, जिसे दीपालिकाकल्प, दीपोत्सवकल्प, अपापाकल्प, दीवालीकल्प आदि नामों से जाना जाता है।
विविध कर्तृक दीपावली के कल्प अद्यपर्यन्त भिन्न-भिन्न प्रकाशकों द्वारा भिन्नभिन्न रूप से छपे हुए थे। संग्रहात्मक संपादन उपलब्ध नहीं था। जो साध्वी श्री चन्दनबालाश्रीजी म. सा. ने किया है। मात्र प्रकाशन ही नहीं, अपितु साध्वीवर्याने उसे संशोधन पूर्वक प्रकाशित किया है। इस संग्रह में वर्तमान में प्रचलित महत्त्वपूर्ण ८ कृतियाँ हैं, जो विभिन्न कर्तृक एवं विभिन्न भाषामय हैं। पूर्व में भिन्न-भिन्न विद्वानों द्वारा संपादित एवं अलग-अलग प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित दीपालिकाकल्पों को एक ही ग्रंथ में उपलब्ध कराकर इन्होंने सामान्य जनों के ऊपर बहत बड़ा उपकार किया है।
प्रस्तुत ग्रंथ में कलिकाल सर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य विरचित दीपोत्सवकल्प, श्री
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