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श्रुतसागर
अक्टूबर-२०१९ श्रीवृद्धिविजयजी कृत नवकारसज्झाय
साध्वी दर्शननिधि नमस्कार महामंत्र आदि-मंगलना स्वरूपमां अनेक आगमो अने ग्रंथोमां मळे छे। नमस्कार महामंत्र जैनत्वना प्रतिक स्वरूपे छे जे जैन होय ते ओछामा ओछो आ महामंत्रनो पाठ तो अवश्य मुखपाठ करी ले छे । नमस्कार महामंत्र ए मात्र मंत्र नथी परंतु द्वादशांगी- आदिम सूत्र छ। तेनुं नाम श्री पंचमंगल महाश्रुतस्कंध पण छे। महामंत्रनी आराधनाथी निर्जरा सधाय छ । कर्मनो क्षय थाय छ । आत्मानी विशुद्धि थाय छे।
सूता-जागता, बेसता-उठता, हालता-चालता ज्यारे पण मन थाय तेनुं स्मरणजाप-ध्यान करी शकाय छे। आधुनिकयुगनी प्रजा आर्थिक, व्यावहारिक अने सामाजिक चिंताना भारने लीधे चित्तनी स्थिरता अने शांति गमावी बेठी छे। तेओने साची शांति मेळववा माटे नवकार ए श्रेष्ठ मंत्र छ । जन्म समये नवकारने पामनारनो आ भव सुधरे छे, तेमज मृत्यु समये नवकारने पामनारनां भवोभव सुधरे छ । नवकारमंत्र विषे ज्ञानीओ कहे छे के,
कर्मने नहि कर्मनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ। दुःखने नहि दुःखनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ । मरणने नहि मरणनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ । जन्मने नहि जन्मनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ। पापने नहि पापनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ । कषायने नहि कषायनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ। विषयने नहि विषयनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ । संसारने नहि संसारनी परंपराने तोडवा माटे श्री नवकारमंत्र छ।
आवा श्रेष्ठ अने महाप्रभावशाळी नवकारमंत्र पर अत्यार सुधी हज्जारो कृतिओ सर्जाई चुकी छे। तेमांथी प्रायः अप्रगट एक देशी भाषामय पद्यबद्ध कृतिनुं अहीं संपादन करवामां आवी रह्यु छ। कृति परिचय
प्रस्तुत सज्झाय प.पू. वृद्धिविजयजी म.सा. द्वारा मारुगुर्जर भाषामां रचायेली छे।
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