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॥४||राज...
SHRUTSAGAR
October-2019 शांतिजिनेसर देव, चरण प्रणाम करी री। तपगछपति गुण गाउं, ऊलट अंग धरी री
॥१॥ राजसागर सूरिंद, वंदई पाप गयो री। दुरगति कीधी दूर, मुगतिनो मार्ग लह्यो री
॥२॥राज... कुमति-कंद-निकंद, गयवर तुं हि कह्यो री। भविअणनिं हितकार, जिनमत सुद्ध लह्यो री
॥३॥राज... गौतम सरिखो एह, गुरुजी मुझनई मल्यो री। जे समरइं तुझ नाम, तस घरि सफल फल्यो री धन्य ते देस विदेस, जी(जि)हां गुरु विहार करइ री। धन्य धन्य ते नर नारि, तुझ गुण चित्त धरि(इं) री
॥५॥राज... देवीदास-कुलचंद, मात देवलदे जण्यो री। तुं गुरुजी चिरंजीव, विद्या सकल भण्यो री
॥६॥राज... विजयसेनसूरि पाटि, प्रगट प्रताप थयो री। राजसागरसूरिंद, तइ जयवाद लह्यो री
॥७॥राज... श्रुतसागर उवझाय, वादीराय भयो री। सकल-पंडित-परधान, शांतिसागर जयो री
॥८॥राज... तस पदकमल विशाल, मधुकर सार कह्यो री। मुनिसागर गुण गाय, मइ गुरु सुद्ध लह्यो री
॥९॥राज... श्री श्रुतसागर कृत गुरु [परंपरा स्वाध्याय]
राग-गोडी शांति जिणेसर प्रणमीइं मनमोहन, सूरतिपुर उद्योतकार लाल मनमोहन । श्रीराजसागरसूरीसरू मनमोहन, तपगछ को सिणगार मनमोहन ॥१॥ श्रीविजयसेनसूरि राजीओ मनमोहन, पाटि उदओ भाण लाल मनमोहन। सागरवंश दीपावीओ मनमोहन, सूत्र सिद्धांतनो जाण लाल मनमोहन ॥२॥ श्रीविद्यासागर वाचकु मनमोहन, प्रतिबोध्यो भविलोक लाल मनमोहन। देश विदेशइं जाणीओ मनमोहन, गुण गाइं नर थोक लाल मनमोहन
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