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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1 ॥ श्रुतसागर अक्टूबर-२०१९ होवा तरफ इशारो करे छे। जो के काव्यमा उल्लेखित विजयचंद्र गणि शिष्य' ए नोंध प्रसिद्ध उपा. सकलचंद्रजीना काव्योमां मळे तो उपरोक्त वात वधु साची गणाय। अहीं एक वात विचारवा जेवी ए पण खरी के पूर्वे गुरुओ पोतानी पाट पोताना शिष्यने ज सोंपता तेवू न हतुं। पदयोग्य साधुने पोतानी पाट सोंपवानो तत्कालिन रीवाज हतो। कदाच आ परंपरा मुजब ज हानर्षि गणिए विजयचंद्रजी गणिना शिष्य सकलचंद्रजीने पदयोग्य जाणी पोतानी पाट सोंपी होय अने तेथी ज उपाध्याय द्वारा रचित कृतिओमां मळती परंपरामां तेमणे पोतानी पाटपरंपरामा हानर्षि गणीनो ज गुरु तरीके उल्लेख को होय तेवू विचारीए तो उपाध्यायजी महाराज विजयचंद्रजीना शिष्य होवानी वातने तेमज प्रस्तुत कृतिकार होवानी वातने समर्थन मळे । ___बीजं ए पण खरुं के कृतिकारे काव्यमां क्यांय पोताना नामनी आगळ पदसूचक कोई शब्द प्रयोज्यो नथी ते वात पण प्रस्तुत कृति उपाध्याय सकलचंद्रजीए पोताना संयम जीवनना प्रारंभिक वर्षो दरम्यान रची होय ते, सूचन करता होय तेवू लागे छ । हीरविजयसूरिजी सज्झाय प्रस्तुत कृति पू. हीरविजयसूरिजीना गुणवैभवने दर्शावती लघु कृति छ। अहीं कृतिकार अज्ञात छे। जो के कृतिकारश्रीनी भाषा उपरनी पकड तथा शब्दोनी गोठवण कविनी विद्वत्ता छती करे छे। पू. हीरविजयसूरिजी म.सा. ना जीवन चरित्र पर संस्कृतादि भाषाओमां नानी-मोटी घणी कृतिओ रचाई छे तेथी सूरिजीना चरित्र पर विशेष कशुं लखवानी जरूर रहेती नथी। पण एटलुं चोक्कस के प्रस्तुत कृति द्वारा सूरिगुणस्तवनानी श्रेणीमां एक सुंदर मणकानो उमेरो थयो। विजयसेनसूरि गीत "सवाई हीर” एवा बिरुदने धारण करनारा एवा तेओ तपागच्छना प्रभावक पुरूषोमांना एक हता। पू. हीरविजयसूरिजीनी जेम तेमणे पण पोताना सत्ताकाळ दरम्यान घणी प्रतिष्ठाओ, पदप्रदान महोत्सवो, दीक्षाओ, संघयात्रा विगेरे सेंकडो धर्मानुष्ठानो कराव्या। तेमना चरित्रनी घणी वातो विजयप्रशस्ति महाकाव्य, विजयसेनसूरि निर्वाण रासादि ग्रंथोमां वर्णवायेली जोवा मळे छ। अहीं प्रकाशित कृतिमां काव्यनो महत्तम अंश सूरिजीना गुणगानमां रोकायो छ । विशेषोल्लेख रूपे फक्त सूरिजीना आचार्यपद संबंधि थोडी विगतो काव्यना आठमां तथा नवमां पद्यमां छे। जो के कृतिकार उपाध्याय सत्यसागरजी देवविजयजीना शिष्य होई सूरिजीना समकालीन छ। तेथी तेमणे आंखे देख्यो अहेवाल अहीं टांक्यो हशे तेवू चोक्कस For Private and Personal Use Only
SR No.525351
Book TitleShrutsagar 2019 10 Volume 06 Issue 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size4 MB
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