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SHRUTSAGAR
September-2019 श्री कैलाससागरसूरिजी म. सा. का जीवनचरित्र तैयार किया और उसे “आतमज्ञानी श्रमण कहावे” के नाम से प्रकाशित किया। पूज्यश्री की निःस्पृहता के विषय में उन्होंने बतलाया कि श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र में उनके नाम का उल्लेख कहीं नहीं मिलेगा।
सकल दिल्ली जैनसंघ की तरफ से ट्रस्टी श्री किशोरजी कोचर के द्वारा अत्यन्त भावपूर्वक एक बार पुनः चातुर्मास हेतु दिल्ली पधारने की विनती की गई। कोबा तीर्थ के ट्रस्टी श्री श्रीपालभाई तथा श्री कल्पेशभाई वी. शाह के द्वारा पूज्यश्री की सरलता के सम्बन्ध में बतलाया गया कि संसार की सभी नदियाँ समुद्र की तरफ जाती हैं, उसी प्रकार आज से कुछ वर्षों पूर्व पालिताणा में हुए श्रमण सम्मेलन में अनेकों आचार्यों तथा गच्छाधिपतियों की उपस्थिति के बावजूद पूज्यश्री को उसका अध्यक्षस्थान दिया गया। (आगामी वर्ष २०२० में) पूज्यश्री कोबातीर्थ में चातुर्मास करें, ऐसी हार्दिक विनती की गई। ट्रस्ट के सभी ट्रस्टियों तथा श्री रणजीतमलजी नानालालजी जैन, बाघरेचा परिवार के द्वारा इसका समर्थन कर कोबा को चातर्मास का लाभ प्रदान करने की भावना व्यक्त की। अनेक संघों की विनती होते हुए भी पूज्यश्री ने कोबा में चातुर्मास हेतु सहर्ष स्वीकृति प्रदान की। वहाँ उपस्थित सभी गुरुभक्तों ने हर्षोल्लास पूर्वक राष्ट्रसन्त पूज्य आचार्यदेव श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी, जापमग्न आचार्यदेव श्री अमृतसागरसूरीश्वरजी, ज्योतिर्विद् आचार्यदेव श्री अरुणोदयसागरसूरिजी तथा गणिवर्य श्री प्रशान्तसागरजी आदि ठाणा के कोबातीर्थ में आगामी चातुर्मास हेतु “जय” बोलाई गई थी। उसी समय संघों की विनती से गांधीनगर, सेक्टर-२२ के लिए आचार्य श्री हेमचन्द्रसागरसूरीश्वरजी तथा श्री पुष्पदन्त जैनसंघ, सेटेलाईट, अहमदाबाद के लिए आचार्य श्री अजयसागरसूरीश्वरजी म. सा. के आगामी चातुर्मास के लिए भी जय बोलाई गई।
पूज्य राष्ट्रसन्तश्रीजी की प्रेरणा से निर्मित आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर के कार्यकर्ता पंडित डॉ. हेमन्तकुमारजी के द्वारा ज्ञानमन्दिर की विशिष्ट उपलब्धियों के विषय में जानकारी दी गई। ___ विश्वप्रसिद्ध श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र, आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर, कोबातीर्थ के द्वारा हस्तप्रतों के विवरणों को प्रकाशित करनेवाले कैलास श्रुतसागर ग्रन्थसूची, भाग-२८ का विमोचन उपस्थित महानुभावों के करकमलों से किया गया। इसके अतिरिक्त अप्रकाशित बोधगर्भित कृतियों को प्रकाशित करनेवाले रास पद्माकर, भाग-४ का भी विमोचन किया गया।
इस शुभ अवसर पर पारसमणि जैनसंघ, अहमदाबाद तथा सीमंधरस्वामी जैनसंघ, मेहसाणा में प्रतिष्ठा हेतु भी शुभ मुहूर्त प्रदान किया गया।
अन्त में पूज्य राष्ट्रसन्तश्री ने कहा कि आप सभी उपस्थित महानुभाव मेरे लिए ऐसी शुभकामना दें कि मेरा जन्म-मृत्यु का चक्र पूर्ण हो जाए और मैं मुक्तिपद को प्राप्त करूँ ।
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