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श्रुतसागर
सितम्बर-२०१९ घरि आवी माइनइं कहइ ए, ए संसार असार कि। सार संयम हुं आदरु ए, जिम पामुं भवपार कि
॥१२॥आंचली.. मात नागलदे इम भणइ ए, संभलि कुलआधार कि। चारित्र किणि परि पालसिउ ए, ए छइ खांडाधार कि
॥१३॥घरि... मीण तणे दांते करी ए, किम लोह चिणा चवाइ(य) कि। पंच सुमति छइ दोहिली ए, गुपति त्रिणि कहिवाय कि ॥१४॥घरि... बावीस परी(रि)सह जीपवा ए, वछ तुं किम बलवंत कि। यती(ति)पंथ छइ दोहिलु ए, सांभलि सुत गुणवंत कि ॥१५॥घरि... कुंअर कहइ अम्हे पालस्युं ए, चारित्र चोखइ भावि(व) कि। ऊलट आणी अति घणुं ए, अनुमति दिउ मझ माय कि ॥१६॥घरि... तव माता वलतुं भण[इ] ए, सुणि रे माहरा पू(पु)त्र कि। ताहरइ मनि आरति नहीं ए, किम रहसिइ घरसूत्र कि ॥१७॥घरि... मात म कहिस्यु अति घणुं ए, लेस्युं संयमभार कि। असुख घणां संसारनां ए, कहितुं(ता) न लहुं पार कि
॥१८॥घरि... परि परि अति घणुं प्रीछविउ ए, कहिउ न मानइ बोल कि। रीस वशि(सि)इं माता कहइ ए, वछ तुं नींटण(नीठर) [नि]टोल कि ॥१९||घरि... जणणी(ननी)-पगि लागी रहिउ ए, दिउ अनुमति मोरी मात कि। वात म कहुं संसारनी ए, लेसिउ सुगुरु संघात कि
॥२०॥घरि... मात पिता वलतुं भणइ ए, संभलि रतनकुमार कि। जउ तुझ मनि मति अति अछइ ए, तउ लइ चारित्र सार कि ॥२१॥घरि... तव कुंअर मनि हरखीउ ए, भेटिआ(या) सहिगुरुराय कि। संयम समता आदरी ए, जीता च्यारि कषाय कि
॥२२॥घरि... श्रीहेमविमलसूरीसरू ए, सइं० हथि थापइ वास कि। संवत पनरएकासीइ (१५८१) ए, आणी अति उल्लास कि ॥२३॥घरि... पुण्य-पसाइं पामीआ ए, श्रीहर्षकल्लोल उवझाय कि। भण्या गुण्या पंडित थया ए, ते सवि सुगुरु पसाय कि
॥२४॥घरि...
६. पीडा, ७. समजाववं, ८. निष्ठुर, ९. निर्लज्ज, १०. पोताना,
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