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श्रुतसागर
सितम्बर-२०१९ वागड देस मनोहर ठाम, पलासइं साह पातो नाम । आचारयपद ओ(उ)त्सव करइं, हेमविमलसूरि जयसिरि(री) वरइं श्रीगुरु सुमतिसाधुसूरिंद, सूरिमंत्र दिइ अति आणंद । गुरु-भगति ते थयो प्रमाण, गुरु-लोपिं विद्या अप्रमाण श्रीगुरु हेमविमलसूरिंद, रूपिं मोहणवेली(लि)कंद। करता देस विदेस विहार, आव्या ईडर नयर मझारि सरगपुरीनो खरो निवेस, जिहां राजा राठोड नरेस। हींदू(हिंदु)-राय तणो सुलताण, राज करइं राया रायभाण कोठारी सायर सुविचार, सहजपाल पिण सहजि उदार। तिहां अनोपम ओ(उ)त्सव करई, श्रीगुरु गणधरपदवी वरइ जिहां जिहां श्रीगुरु करई विहार, तिहां तिहां ओ(उ)त्सव रंग अपार । खंभनयरि गुरुवचन-अभंग, श्रीश@जययात्रा जंग सीरोही आबूनो राय, जेहनई भूपति प्रणमइं पाय। रायाराय जगमाल नरेस, जेह गुरु मान दीइं सविसेस सुमतिसाधुसूरि सीस सुजाण, एह गुरु जिनशासनिं सुलताण। श्रीगुरु हेमविमलसूरीस, कवि कहिं प्रतपो कोडि वरीस ॥ इति श्रीहेमविमलसूरि स्वाध्यायः॥॥ लिखितः सूर्यपुरे ॥ परोपकाराय ॥
श्रीसद्भ्यः स्तात् ॥
हेमसोमसूरि सज्झाय प्रस्तुत कृति आ. श्रीहेमसोमसूरिजीना जीवन चरित्र पर लखायेली ऐतिहासिक रचना छ। अहीं पण कविए काव्यनी शरूआत चरित्रनायकना माता-पिता तथा ग्रामादिकनो नामोल्लेख करवा पूर्वक करी छ । आ ज वर्णन क्रममा आगळ वधतां कविए पंचविषयसुख भोगवता ते दंपत्तिने शुभ दिवसे शुभ स्वप्नथी सूचित तथा प्रशस्त दोहलाओथी सिंचित कोई पुण्य पुरुष गर्भमां पुत्ररूपे अवतर्यानी तेमज पूरे मासे जनम्यानी विगत काव्यना पद्य क्रमांक चोथां-पांचमामां गुंथी छे । ते पछीनी ढाळमां पुत्रना जन्मप्रसंगे कराता तत्कालिन समाज व्यवहारने दर्शावता कविए स्वजन
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