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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR August-2019 कर्तव्यों का प्रामाणिकतापूर्वक पालन करना ही धर्म है। धर्म का पालन करने से मन में करुणा, दया, वात्सल्य, प्रेम और दूसरों की मदद करने का भाव जागृत होता है। आज के समय में लोगों को धार्मिक कहलाना पसंद है, परन्तु धर्म का पालन करना किसी को पसंद नहीं। प्रत्येक प्राणी का दुःख हमें अपना लगना चाहिये। संसार के प्रत्येक धर्म का यही सार है। सत्य से धर्म का जन्म होता है। आज के समय में हमारा जीवन-व्यवहार ही असत्य की भूमिका पर चल रहा है। यहाँ उल्लेखनीय है कि सत्य का जन्म भारत में हुआ और परम सत्य का प्रकाश तीर्थंकरों और सद्रुओं ने हमें दिखाया है। राष्ट्रसंतश्री ने आगे कहा कि जीवन के प्रत्येक व्यवहार में धर्म होना चाहिए। हमें दूसरों के दुःखों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए। शिबिर के प्रारंभ में गणिवर्य श्री प्रशांतसागरजी महाराज ने परमात्मा और उनकी भक्ति के विषय में सभा को विशेष जानकारी प्रदान की। प्रवचन से जीवन में परिवर्तन आता है अहमदाबाद : अदाणी शान्तिग्राम ४ अगस्त प्रातः १०.०० बजे राष्ट्रसन्त जैनाचार्य श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी महाराजा ने कहा कि प्रवचन तथा सद्वचनों के श्रवण से जीवन में परिवर्तन आता है। जीवनयात्रा की सही राह और समझ मिलती है। जिस प्रकार दैनिक जीवन व्यवहार में हम योजना पूर्वक लक्ष्य के साथ चलते हैं, उसी प्रकार जीवन का भी एक लक्ष्य बनाना आवश्यक है, जिसके द्वारा हमें हमारी सद्गति या दुर्गति का ख्याल आ सके। प्रवचन के दौरान उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि संसार में दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं - एक चलनी जैसे और दूसरा सूपडा जैसे। चलनी सार वस्तु को बाहर निकाल देती है और असार वस्तु को अपने अन्दर रखती है, जबकि सूपडा असार वस्तु को बाहर निकाल देता है और सार वस्तु को अपने अन्दर रखता है। आचार्यश्री ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि हमारा जीवन चलनी जैसा नहीं, बल्कि सूपड़े जैसा होना चाहिए, जो सार वस्तु को ग्रहण कर असार वस्तु को बाहर निकाल देता है। प्रवचन के अन्त में धर्म की बातें करते हुए उन्होंने कहा कि क्षमाभाव के द्वारा ही धर्म की स्थापना होती है तथा क्रोध, लोभ और कषाय के द्वारा धर्म का नाश होता है। शिबिर के प्रारम्भ में आचार्य श्री हेमचन्द्रसागरसूरीश्वरजी महाराज ने अपनी विशिष्ट शैली में जीवन व्यवहार के विषय में प्रवचन दिया। गणिवर्य श्री प्रशान्तसागरजी महाराज ने उपस्थित आराधकों को पर्युषणपर्व के दौरान एक महीने के उपवास का For Private and Personal Use Only
SR No.525349
Book TitleShrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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