SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 20 श्रुतसागर अगस्त-२०१९ | २७ | हरिहर पूजन, तापस वंदन | २ आयंबिल | २८ | मंचक तडके मुके, चकलाना माला भांगे, अधम | २२-२२ आयंबिल व्यापार माटे चोरी- कलंक आपी दंडावे, पुंजाना ढगला उपर अग्नि बाळे, कोलुं करे(?), दव लगाडे, | सरोवर सुकावे, मित्रनो भेद करे, घर भांगे, कोलिया वड(?) | २९ | जळो मुकाववी, ६ उपवास |३० । करकडा मोडे |१ उपवास | ३१ | खारुं-मीठं पाणी भेळवे |१ उपवास | श्राप आपे, हाथ-पग उतारे-भांगे-मोडे |४ आयंबिल | ३३ | घंटी-उखल-मुशल-चुलो आदि वस्तु अणपुंजे १२-१२ आयंबिल | वापरे, अणगल जलथी धोवे, अन्यने शस्त्रथी मारे | बळदने खसी करावे, नाक विंधीने वीवाहे जोडे २-२ आयंबिल ३५ । | चौपद उपर अधिको भार, वासी गार राखे, वासी | १ छ? अन्नन भोजन करे छांणां-इंधण-अन्न सर्वे अणपुंज्यां-अणसोध्यां | २२ आयंबिल बाले-राधे-कर्म करे | श्री जिनबिंब उत्थापन |३० आयंबिल ३८ प्रतिमा उत्थापकने अन्न देतां । |१०० आयंबिल ३९ | लगभग वेलाए वालु करे, सामायक व्रत खंडे, काम | १-१ उपवास कुचेष्टा, तीव्र विषयाभिलाष, दुतिपणुं, मैथुननी | चिंता, कुंवारी कन्या साथे रंगे रमे, धातु-वस्त्र हरण ३४ बळ एक-बे वातो बे वखत पण आवी छे, जेमां आलोचना भिन्न-भिन्न दर्शावाई छे, बनी शके कदाच तेने समझवामां मारी भूल थई होय । जेमके चोरी, आ संदर्भे गाथा नं. ३ मां एक उपवास अने गाथा ७मां २ आयंबिलनी वात करी छे । यथा“एक सुवावड एक उपवास, पारका द्रव्यनी चोरी। कलह करे ने अन्न जे चोरे, करो उपवास सवेरो रे ।।३।।भ०” “पारका वस्त्रने परद्रव्यनी चोरी, आंबिल दोय दोय तास रे ॥७॥भ०” हीन स्त्री माटे पण बे वखत उल्लेख जोवा मळे छे, जेमां भिन्न-भिन्न आलोचना For Private and Personal Use Only
SR No.525349
Book TitleShrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy