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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 19 Im SHRUTSAGAR August-2019 क्रम अतिचार आलोचना | १ | देववंदन न करवं १ पुरिमड्ढ | २ |गुरुने ज्ञान आशातना १ एकासगुं | एक स्वावड १ उपवास | कलह, वस्त्र तथा अन्ननी चोरी १ उपवास | उखल-मुशल देव तथा रात्रिभोजन १ उपवास स्नात्र | बेइंद्रिय-तेइंद्रिय-चौरेंद्रिय ना जीव हणतां | अनुक्रमे २, ३, ४ उपवास | पंचेंद्री जीव हत्या, उत्कृष्ट मृषावाद |१० उपवास जघन्य मृषावाद, अदत्तादान, अनंतकाय भंगे पुरिमड्ढ | अनंतकाय भक्षण, अणगळ पाणी सेवन, चाडि, १ उपवास परनिंदा | जुटुं आळ आपq. |१२ उपवास | ११ | पारका वस्त्र व द्रव्यनी चोरी | २ आयंबिल | देव-गुरु-पूजा द्रव्यभंग | नीवि – एकासगुं | १३ |स्वदारा नियम भंग, वेश्यागमन, हिन स्त्री तथा १० उपवास विधवा संग | १४ | हिन जाती स्त्री आदर, अधम पुरुष संग |११ उपवास | पौषध तथा चोथा व्रतनो भंग ३ उपवास | उत्कृष्टी सुवावड(?) | ४ उपवास | दिसाव्रतभंग, महाविगइ भक्षण, मिथ्याव्रत, |१ उपवास | आयंबिल-निवि-पुरिमड्ढ भंगे | परिग्रह नियम विसार्या | ८ आयंबिल १९ | जिनप्रतिमाने दीपक लागी जवो १ लाख नवकार जाप, | स्नात्र-पूजा भणाववी | २० | प्रतिमा पडे १ उपवास | २२ प्रतिमा अंगुलि भंग १ लाख नवकार, १० उपवास, देरासर बंधाववं | २३ | देवद्रव्य-गुरुद्रव्य बगाड अने तेटलुं पार्छ न आपतां | २० आयंबिल २४ स्थापनाचार्यजी विना पडिलेह्या रहे, पडी जाय, |१ अट्ठम खोवाई जाय | नवकारवाळी खोवाय | १ नीवी | देव-गुरुने वंदन भूले १ एकासणु For Private and Personal Use Only
SR No.525349
Book TitleShrutsagar 2019 08 Volume 06 Issue 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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