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SHRUTSAGAR
June-2019
संपादकीय
रामप्रकाश झा श्रुतसागर का यह नूतन अंक आपके करकमलों में समर्पित करते हुए हमें अपार प्रसन्नता की अनुभूति हो रही है।
प्रस्तुत अंक में “गुरुवाणी” शीर्षक के अन्तर्गत “सद्गतिनो उपाय” लेख प्रकाशित किया जा रहा है, जिसमें सद्गति की प्राप्ति हेतु आध्यात्मिक उपायों का वर्णन किया गया है । द्वितीय लेख राष्ट्रसंत आचार्य भगवंत श्री पद्मसागरसूरीश्वरजी म. सा. के प्रवचनों की पुस्तक 'Awakening' से क्रमबद्ध श्रेणी के अंतर्गत संकलित किया गया है, जिसके अन्तर्गत जीवनोपयोगी प्रसंगों का विवेचन किया गया है। “ज्ञानसागरना तीरे तीरे” नामक तृतीय लेख में डॉ.कुमारपाल देसाई के द्वारा आचार्यदेव श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी म. सा. के जीवन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व का परिचय प्रस्तुत किया गया है।
अप्रकाशित कृति प्रकाशन के क्रम में सर्वप्रथम पूज्य गणिवर्य श्री सुयशचन्द्रविजयजी म. सा. के द्वारा सम्पादित खरतरगच्छ के कवि श्रीसार के द्वारा रचित “प्रवचनपरीक्षा षलिंशिका" प्रस्तुत की जा रही है। इस कृति में मुख्य रूप से अहिंसा के सिद्धान्त का वर्णन किया गया है, साथ ही सम्यक्त्व, मिथ्यात्व तथा इसके अवान्तर भेदों को भी समझाने का प्रयत्न किया गया है । द्वितीय कृति के रूप में श्रीमती मीनाक्षी एच. शेडगे के द्वारा सम्पादित “चारित्रमनोरथमाला” प्रकाशित किया जा रहा है। इस कृति में चारित्र का अर्थ व स्वरूप स्पष्ट करते हुए उसके लिए की जानेवाली भावना का वर्णन किया गया है।
पुनःप्रकाशन श्रेणी के अन्तर्गत इस अंक में बुद्धिप्रकाश, ई.१९३४, पुस्तक८१,अंक-३ में प्रकाशित “गुजराती बोलीमां विवृत अने संवृत ए-ओ” नामक लेख का अन्तिम अंश प्रकाशित किया जा रहा है। इस लेख में सत्रहवीं सदी तथा उसके पूर्व की गुजराती बोलियों में हुए परिवर्तनों का वर्णन किया है।
पुस्तक समीक्षा के अन्तर्गत पंन्यास श्री सम्यग्दर्शनविजयजी म. सा. के द्वारा सम्पादित "ज्ञानविमल साहित्य संग्रह” पुस्तक की समीक्षा प्रस्तुत की जा रही है। इस पुस्तक में पूज्य साध्वी श्री नम्रगिराश्रीजी म. सा. के द्वारा १०० वर्ष पूर्व सम्पादित श्री ज्ञानविमलसूरिजी के द्वारा गुजराती भाषा में रचित स्तुत्यात्मक कृतियों का पुनः प्रकाशन किया गया है ।
इस अंक में "श्रुतसेवा के क्षेत्र में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर का योगदान” नामक शीर्षक के अंतर्गत संशोधन,सम्पादन व श्रुतसेवा के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों के उपयोग के महत्त्व पर प्रकाश डाला गया है ।
हम यह आशा करते हैं कि इस अंक में संकलित सामग्रियों के द्वारा हमारे वाचक अवश्य लाभान्वित होंगे।
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