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श्रुतसागर
मई-२०१९ ज्ञानसागरना तीरे तीर (योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराज:२)
डॉ. कुमारपाल देसाई (गतांक से आगे)
आवा योगनिष्ठ आचार्य बुद्धिसागरसूरीश्वरजीना एक वर्षनी प्राप्त थती रोजनीशी पर दृष्टिपात करीए। केटलीक रोजनीशीमा भौतिक प्रवृत्तिओनी नोंध होय छे ज्यारे थोडीक एवी रोजनीशी (डायरी) होय छे के जेमां केवळ आध्यात्मिक अनुभवोनुं निरूपण ज होय छे, अने लखनार एमां पोताना वांचन, मनन, निदिध्यासन, आत्मचिंतन, आत्मानंद इत्यादि आंतरगुहामां चालती घटनाओनी नोंध आपे छ । जो तेनामां साहित्यिक शक्ति होय तो, तेने लगता गद्य-पद्यना उद्गारोमा साहित्यिक सुगंध आववा पामे छे। निःस्पृह अने निर्मम भावे, केवळ आध्यात्मिक प्रगति के पीछेहठनी नोंध के निजानंदनी अभिव्यक्ति माटे लखनारा विरल होय छे । योगसाधक आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजीनी रोजनीशी आ प्रकारनी छे । तेमना सुदीर्घ जीवनकाळना लांबा पटने आवरी लेती अनेक वर्षांनी रोजनीशीओ एमणे लखी होवा छतां, एमनी ज वर्षनी रोजनीशी अत्यारे प्राप्त थाय छे।
नानकडी डोकाबारीमाथी महेलमां नजर नाखीए अने जेम तेनी अंदर रहेली अमूल्य समृद्धिनुं दर्शन थाय, एवो अनुभव श्री बुद्धिसागरसूरिजीनी आ एक वर्षनी रोजनीशी परथी थाय छे। आमांथी तेमना भव्य-अद्भुत जीवनकार्यनो ख्याल आवी जाय छ। आमां तेओना योग, समाधि, अध्यात्मचिंतन, विशाळ अने वैविध्यपूर्ण वांचन, लोकहितकारी प्रवृत्तिओनुं आयोजन अने गझलमा मस्तीरूपे प्रगटता निजानंदनुं दर्शन थाय छे।
समग्र जीवनमा एक वर्षतुं महत्त्व केटलं? पळनो पण प्रमाद नहि सेवनार जाग्रत आत्माने माटे तो अंतरयात्राना पथ पर प्रयाण करवा माटे प्रत्येक वर्ष नहि, बल्के प्रत्येक क्षण मूल्यवान होय छे अने भगवान महावीरनी पळमात्र जेटलोय प्रमाद नहि करवानी शीख, ए रीते चरितार्थ थई शके छे। आनो जीवंत आलेख आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरिजीनी वि. सं. १९७१नी, मात्र एक ज वर्षनी डायरीमाथी मळी जाय छे। एक बाजु विहार, व्याख्यान अने उपदेशनी धर्मप्रवृत्ति चाले, बीजी बाजु भिन्न भिन्न विषयोनां पुस्तकोनुं सतत वांचन थाय, साथोसाथ मननी प्रक्रिया तो चालु ज होय अने