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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 23 SHRUTSAGAR May-2019 नर नारी भाविं करी, गाइ तुझ गुण सार रे लाल। ते तुझनइ इम वीनवइ, प्रभु ऊतारो भवपार रे लाल श्रीनारिंगो...॥८॥ चंदवदनी मृगलोचना, गोरडी गोरइ वानि रे लाल । तुझ गुण गांन करइ सदा, झालि झबूक्कइ कांनि रे लाल श्रीनारिंगो...॥९॥ अश्वसेन-कुलि-चंदलो, वामादेवीनो नंद रे लाल। जलतो नाग निजामीउ, ते हूउ धरणिंद रे लाल श्रीनारिंगो...॥१०॥ तुं हि सज्जन तुं हि साहिबो, तुं मुझ प्राण आधार रे लाल।। भवि भवि मांगु हुं सही, तुं मुझ भवभय वारि रे लाल श्रीनारिंगो...॥११॥ नागराज पद्मावती, करइ प्रभुपदपंकज सेव रे लाल। खंभायतना संघनइ, प्रभु सुख देयो नितमेव रे लाल। श्रीनारिंगो...॥१२॥ मुझ सरिखा जन सेवका, प्रभु ताहरइ छइ अनेक रे लाल। हुं किंकर प्रभु ताहरो, तुं ठाकुर मुझ एक रे लाल श्रीनारिंगो...॥१३॥ सकल-पंडित-मुकुटामणी, मुनिवरमांहिं परधान रे लाल। श्रीमानविजय कविराजनो, प्रीति दीप्ति करइ गुण गान रे लाल। श्रीनारिंगो...॥१४॥ ॥ इति श्रीनारिंगापार्श्वना(थ) स्तवनम् ॥ सं. १७१२ वर्षे ॥ श्रुतसागर के इस अंक के माध्यम से प. पू. गुरुभगवन्तों तथा अप्रकाशित कृतियों के ऊपर संशोधन, सम्पादन करनेवाले सभी विद्वानों से निवेदन है कि आप जिस अप्रकाशित कृति का संशोधन, सम्पादन कर रहे हैं अथवा किसी महत्त्वपूर्ण कृति का नवसर्जन कर रहे हैं, तो कृपया उसकी सूचना हमें भिजवाएँ, जिसे हम अपने अंक के माध्यम से अन्य विद्वानों तक पहुँचाने का प्रयत्न करेंगे, जिससे समाज को यह ज्ञात हो सके कि किस कृति का सम्पादनकार्य कौन से विद्वान कर रहे हैं? इस तरह अन्य विद्वानों के श्रम व समय की बचत होगी और उसका उपयोग वे अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों के सम्पादन में कर सकेंगे. निवेदक सम्पादक (श्रुतसागर) For Private and Personal Use Only
SR No.525346
Book TitleShrutsagar 2019 05 Volume 05 Issue 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages68
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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