________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
21
May-2019
SHRUTSAGAR
श्री दीप्तिविजयजी कृत श्री नारंगापार्श्वनाथ स्तवन
गणि सुयशचंद्रविजयजी १०८ पार्श्वनाथ प्रभुना तीर्थोनी यात्रा करनारा भाविकोए खंभाततीर्थना स्थंभन पार्श्वनाथ, सोमचिंतामणि पार्श्वनाथ, भुवन पार्श्वनाथ, कंसारी (भीडभंजन) पार्श्वनाथादि विशिष्ठ जिनमंदिरो (बिंबो) ने जुहार्या ज हशे । हमणां थोडा समय पूर्वे केटलीक प्राचीन हस्तप्रतोनो अभ्यास करता खंभातमां पूर्वे विराजमान के जे हालमां क्यां छे? तेनी खबर नथी ते नारिंगा (नारंग) पार्श्वनाथ संबंधि एक स्तवन जडी आव्यु त्यारे १०८ पार्श्वनाथ प्रभुनी यात्राए जता भाविकोने माटे आ कृति प्रकाशित करवानी भावना थई। खास तो खंभातादि तीर्थयात्राए आवता भाविको पण आ रीते कशु नवु जाणवा-समजवा के शोधवा निकळे एवी आशा साथे आ कृतिनुं अहिं संपादन कर्यु छे । __ प्रस्तुत कृति कवि दीप्तिविजयजी द्वारा रचायेली संक्षिप्त रचना छ । कविए अहिं नारंगा पार्श्वनाथ प्रभुनी स्तवना तो करी ज छे साथे साथे ते प्रभुनी स्थापना (प्रतिष्ठा) कोणे करी? कई सालमां करी? कया गुरुभगवंतना हस्ते करी? तेनी पण ऐतिहासिक विगतो आलेखी छे। जो के आ प्रतिमा क्यां बिराजमान हती? तेमनुं नाम नारंगा पार्श्वनाथ केम पड्यं? तेनी कशी नोंध काव्यमां नथी। एक एवी पण शंका जाय के शा. नेमीदासना पत्निनुं नाम नारंगदे हतुं तो शुं तेना नाम परथी भगवाननुं नाम “नारंगा पार्श्वनाथ” पड्युं हशे? आमेय ग्रामादिकना नाम परथी विविध गच्छोना, चैत्योना नाम पडेला जोई शकाय छे। जो अहिं पण एवं कशुं बन्यु होय अथवा कशुं जुदु होय तेनी जो कोई जिज्ञासु व्यक्ति तपास करे तो ज खबर पडे। खास तो आ संदर्भे चैत्यपरिपाटी, तीर्थमाळादि ऐतिहासिक साहित्यमां पण तपास करवी घटे।
आ कृतिना कर्ता तपागच्छीय मानविजयजीना शिष्य मुनि श्रीदीप्तिविजयजी छे । तेमणे स्तवन सज्झायादि लघु कृतिओ साथे रासजेवी मोटी कृतिओ पण रची छे । देशी साथे संस्कृत रचना पण करी छ । हालमां मळती तेमनी रचनाओमां नारंगा पार्श्वनाथ स्तवन सिवाय अन्य ६ रचनाओ छे। तेमां आदिजिन गीत, चतुर्विंशतिजिनस्तोत्र (संस्कृत), कयवन्ना रास, मंगलकलश रास, दान सज्झाय, माया परिहार सज्झायनो समावेश थाय छे । कयवन्ना रास अने मंगलकलश रासमां तेमनी विस्तृत परंपरा जोवा मळे छे। चतुर्विंशतिजिन स्तोत्रमा पोताना नाम साथे गुरुनाम तथा गच्छाधिपतीनो
For Private and Personal Use Only