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SHRUTSAGAR
April-2019
ज्ञानसागरना तीरे तीर (योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरीश्वरजी महाराजः १)
डॉ. कुमारपाल देसाई ए एकमां अनेक हता, अनेकमां ए एक हता।
अध्यात्मयोगी आचार्यश्री बुद्धिसागरसूरीश्वरजी- जीवन मात्र बे पच्चीसी, परंतु एमना जीवनना पूर्वार्द्धमां एक उत्कट साधक अने धर्मजिज्ञासु आत्मानो आलेख जोवा मळे छ । एमना जीवनना उत्तरार्द्धमां जैनाचार्य तरीकेनी एमनी आगवी गरिमा नजरे पड़े छे। जिनशासनने पामवाना पोताना ध्येयनी आडे आवता तमाम अवरोधो एमणे पार कर्या अने विजापुरना शेठ नथ्थुभाईनो सहयोग सांपडतां जीवनउत्थानना सोपान पर एक पछी एक डगलुं आगळ भरता रह्या। एमांथी महान त्यागी, तेजस्वी अने शासनप्रभावक सूरिपुंगव समाजने मळ्या।
ए महान योगी हता, उत्तम कवि हता, प्रवचन प्रभावक हता, मानवतानी भावनाथी परिपूर्ण हता, वज्रांग ब्रह्मचर्यन तेज धारण करता हता। विशेषे तो योगी आनंदघननी याद आपे एवा अने अढारे आलमनी चाहना मेळवनारा मस्त अवधूत हता।
अध्यात्मयोगी योगनिष्ठ आचार्य बुद्धिसागरसूरीश्वरजीना ए समयनो पण विचार करवो जोईए के जे समये वहेम, अज्ञान अने भूतप्रेतना भयथी प्रजा बीकण बनेली हती, त्यारे एमणे निर्भयतानो सिंहनाद कर्यो अने प्रजामां मर्दानगीनुं प्रागट्य कयें । एक सत्यवीरनी सम्यक् दृष्टि आत्मसाधुता दर्शावती एमनी ग्रंथरचनाओ मात्र जैनसमाजमां ज नहीं, पण विराट् अने व्यापक जनसमूहमां आत्मज्ञाननां अजवाळां पाथरनारी बनी रही।
देश गुलामीनी जंजीरोमां जकडायेलो हतो, त्यारे एमणे एमनी ग्रंथरचनाओ द्वारा आध्यात्मिकतानो शंखनाद फूंक्यो। समय जतां केटलीक परंपराओ झांखी पडे छे अने विस्मृत थाय छे, ए रीते योगसाधनानी परंपरा विसराती जती हती, त्यारे योगनिष्ठ आचार्यश्रीए पोताना ध्यानपूर्ण जीवनथी अने उत्कृष्ट ग्रंथरचना करीने योगनी पराकाष्ठा बतावी। बाह्याचारोमां डूबेला समाजने आत्माना ऊर्ध्व मार्गनो परिचय आप्यो अने अलौकिक आनंद आपती अध्यात्म-साधनानी ओळख आपी।
गुजरातना महाकवि न्हानालाले योगनिष्ठ आचार्य श्रीमद् बुद्धिसागरसूरिजीने
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