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SHRUTSAGAR
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April-2019
आसनदान देने के प्रभाव से करिराज महिपाल को दुर्लभ गुणों से युक्त हाथी प्राप्त हुआ, यह कथा सुनकर भव्य प्राणियों को पापों का नाश करने हेतु मुनियों को आसन दान देना चाहिए । चतुर्थ प्रकाश में अन्नदान के ऊपर कनकरथ राजा की कथा कही गई है । मोक्ष की इच्छा रखनेवाले पुरुष को चाहिए कि साधुओं को शुद्ध अन्न दान करें । पंचम प्रकाश में जलदान के ऊपर धन्यक-पुण्यक दो भाईयों की कथा कही गई है । पुण्यक ने साधुओं को प्रासुक जल देकर पुण्य का उपार्जन किया, उसी प्रकार भव्य पुरुषों को प्रयत्नपूर्वक साधुओं को निर्दोषजल का दान करना चाहिए । षष्ठ प्रकाश में औषधदान के ऊपर रेवती नामक श्राविका की कथा कही गई है । रेवती श्राविका ने भगवान महावीर को अतिसार रोग की शान्ति हेतु औषधि का दान देकर महान् पुण्य को प्राप्त किया, उसी प्रकार भव्य जीवों को प्रयत्नपूर्वक साधुओं को औषधि का दान देना चाहिए । सप्तम प्रकाश में वस्त्रदान की महिमा कही गई है । गुणवान साधुओं को योग्य वस्त्रदान के ऊपर ध्वज भुजंग की कथा का उल्लेख किया गया है । अष्टम प्रकाश में पात्रदान की महिमा के विषय में धनपति श्रेष्ठि की कथा कही गई है । पात्रदान के फल का प्रतिपादन करनेवाली धनपति श्रेष्ठि की कथा सुनकर भव्य पुरुषों को भक्तिपूर्वक साधुओं को पात्रदान देना चाहिए ।
इस पुस्तक का सम्पादन पंन्यास श्रीसम्यग्दर्शनविजयजी गणि ने किया है । पुस्तक की छपाई बहुत सुंदर ढंग से की गई है। आवरणपृष्ठ पर हाथों में सोने-चांदी के सिक्के भरकर दान देने हेतु किसी श्रावक की अंजलि का आकर्षक चित्र प्रस्तुत किया गया है, जो इस कृति के अनुरूप ही है ।
इस पुस्तक के माध्यम से लगभग सौ वर्षों पूर्व प्रकाशित दानप्रकाश के गुजराती भाषान्तर को मूल पाठ के साथ प्रकाशित कर पुनः लोकसमक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है । इस प्रकार पूज्य पंन्यास श्री सम्यग्दर्शनविजयजी गणि का यह प्रयास सुश्रावकों के मानसपटल पर एक अमिट छाप छोड़ने में पूर्ण सफल होगा, और सक्षम श्रावकों को दानधर्म हेतु प्रेरित करेगा। सामान्य श्रावकों के लिए भी यह पुस्तक बहुत ही उपयोगी सिद्ध होगी । जैन श्रेष्ठी व श्रावकवर्ग इस प्रकार के उत्तम प्रकाशनों से दानधर्मादि हेतु अवश्य प्रेरित होंगे। पूज्यश्री का यह सम्पादन कार्य निरन्तर जारी रहे ऐसी शुभेच्छा
है।
अन्ततः यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि प्रस्तुत प्रकाशन जैन श्रावकों और श्रेष्ठियों को हमेशा प्रतिबोधित करता रहेगा । इस कार्य की सादर अनुमोदना सह वन्दना ।
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