________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
SHRUTSAGAR
25
April-2019 गुजराती बोलीमा विवृत अने संवृत ए-ओ
चुनीलाल वर्धमान शाह
विवृत
बैठा
प्राकृत-अपभ्रंश-उर्दू ई० हिंदी-राजस्थानी-मारवाडी ई० गुजराती बइठ मइलउं
मला करइ खइर (सं० खदिर) खइर (ऊ० खयर) हइरान (ऊ० हयरान) हैरान चउत्थउ
चॉथो चउक्क
चौक
चौथा
चॉक
ऑलिया कॉल
सअउ (सं० शतः) सौ अउलिया (ऊ० अवलिया) औलिया कउल (ऊ कवल) कौल
संवृत* प्राकृत-अपभ्रंश-उर्दू इ० (सं० नगर) नयर-नहर (सं० अन्यतरकं) अन्नयरउं-अनइरउं (ऊ० वगयरा) वगइरा (हिं० वगेरह) (सं० कदली) कमली-कइली (सं० मयूर) मऊर
गुजराती नेर(चांपानेर) अनेरु
वगेरे
केळ(केळ्य)
मोर
*सामान्य रीते ज्यारे संस्कृत-प्राकृतनो कोइ मुख्य तथा प्रयत्नयुक्त वर्ण के दीर्घ स्वर इ रूपने पामे छे, त्यारे ए इ-उ उच्चारमा प्रयत्न मांगे छे अने तेनो संवृत ए-ओ थाय छे.
For Private and Personal Use Only