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श्रुतसागर
मार्च-२०१९
अनुक्रम
रामप्रकाश झा
६
१. संपादकीय २. गुरुवाणी 3. Awakening ४. ऋषभजिन स्तुतिलहरी ५. हीरानंदसूरि यशवेलि ६. सम्मेतगिरितीर्थ स्तवन ७. गुजराती बोलीमां विवृत अने
संवृत ए-ओ ८. पुस्तक समीक्षा ९. समाचार
आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी Acharya Padmasagarsuri भरत टी. जोशी गणि सुयशचंद्रविजयजी राहुल आर. त्रिवेदी
चुनीलाल वर्धमान शाह
रामप्रकाश झा
देव धर्म गुरु ग्रन्थमत, रतन जगत मै च्यार। साचे लीजै परख करी, खोटे दीजै डार ॥
हस्तप्रत ८४५३१ भावार्थ - देव, धर्म, गुरु और ग्रन्थों के सिद्धान्त । इस प्रकार इस संसार में चार प्रकार के रत्न हैं, इनकी परीक्षा करके जो सत्य हों, उनका स्वीकार - करना चाहिए और जो मिथ्या हों, उन्हें छोड़ देना चाहिए।
* प्राप्तिस्थान आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर तीन बंगला, टोलकनगर, होटल हेरीटेज़ की गली में
डॉ. प्रणव नाणावटी क्लीनीक के पास, पालडी अहमदाबाद - ३८०००७, फोन नं. (०७९) २६५८२३५५
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