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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR March-2019 हीरानंदसूरियशवेलि गणि सुयशचंद्रविजयजी प्रभु वीरनी निग्रंथ परंपरामां श्वेतांबर संप्रदायना चंद्रकुळमां समयांतरे अनेक गच्छो अस्तित्वमां आव्या । तेमांनो एक गच्छ एटले पल्लीवाल गच्छ मूळे पाली नामना गामथी ते गच्छनी शरूआत थई होई ते पल्लीवाल गच्छ कहेवायो। पालीवाल गच्छ, पल्लकीय गच्छ, पाडिवाल गच्छ विगेरे नामो पण आ ज गच्छना अन्य प्रचलित नामो छे। आ गच्छनी भिन्न भिन्न २-३ पट्टावलीओ जैन परंपराना इतिहास, 'जैन श्वेतांबर गच्छों का संक्षिप्त इतिहास' विगेरे ग्रंथोमां जोवा मळे छे। जो के हजु पण तेना संबंधमां विशेष संशोधननी जरूर छ। कृति परचिय___प्रस्तुत कृति मुख्यत्वे उपरोक्त पल्लीवाल गच्छनी परंपरामां थयेल हीराणंदसूरिजीना चरित्र पर प्रकाश पाडती रचना छ। अहीं काव्यमां कवि शुभंकरे हीरानंदसूरिजीनी यशवेलिने वर्णन करवानी साथे साथे ते ज परंपरामां पूर्वे थई चूकेला आ. यशोदेवसूरिजी, नन्नसूरिजी, अभयदेवसूरिजी, अजितदेवसूरिजी, शांतिसूरिजी, उद्योतनसूरिजी, महेश्वरसूरिजी, अजितदेवसूरिजी (बीजा) विगेरेनो नामोल्लेखपूर्वक आंशिक परिचय पण टांक्यो छे। कृति महत्तम अंशे दस्तावेजी होई काव्यत्त्व करता नामादि ऐतिहासिक सामग्रीने सारूं एवं महत्त्व अपायेलुं अहीं जोई शकाय छे। काव्यमां हीराणंदसूरिजीना पदप्रदान प्रसंगना पद्यो उपरोक्त कथननो पूरावो ज जोई लो। आ सिवाय काव्यमां बीजी पण केटलीक महत्वपूर्ण नोंधो छे, जे आपणे क्रमबंध जोईशुं(१) राठोडवंशना राजवी नयणसेन कुमार द्वारा थयेल सगर्भा मृगलीना घातना अवसरे प्रायश्चित रूपे अन्य दर्शनीओ द्वारा ज्यारे पुरश्चरणादि विधान करवानु थाय छे, त्यारे यशोदेवसूरिजी द्वारा ते अंगे संयम ग्रहण करवानी प्रेरणा करायेली जोवा मळे छ। For Private and Personal Use Only
SR No.525344
Book TitleShrutsagar 2019 03 Volume 05 Issue 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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