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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir February-2019 ॥१०॥ SHRUTSAGAR जुगला तेउ वाउ तमतमा, नवि तिहाथी नरगति उत्तमा। तेरइ सुर आठइ सुरलोक, तिहांथी पामइ नर तिरी लोक ते उपरि सुरलोकह चवी, ते पुण पामइ गति मानवी। ये नर चरम सरीरी होइ, पंचम गति नियमई लहइ सोइं ॥११॥ श्री गुरु हीरविजय गछधणी, विजयसेन तस पटि दिनमणी। विजयदेवगुरु तस पटधार, चिर प्रतिपु जगि जय जयकार ॥१२॥ चिहुं गति जीव विचार सज्झाय, समरतां निज मन रहि ठाइ। पदमविजय कवियण इम भणइ, जिनशासननि जाउं भावणइ ॥१३॥ इति सज्झाय समाप्तः। पंडित श्री पदमविजय गणि कृतं ॥ ग. पद्महर्ष । मु. राजहर्ष वाचनार्थं ग. शिवविजय लिखितं । योधपूर नगरे || श्रुतसागर के इस अंक के माध्यम से प. पू. गुरुभगवन्तों तथा अप्रकाशित कृतियों के ऊपर संशोधन, सम्पादन करनेवाले सभी विद्वानों से निवेदन है कि आप जिस अप्रकाशित कृति का संशोधन, सम्पादन कर रहे हैं अथवा किसी महत्त्वपूर्ण कृति का नवसर्जन कर रहे हैं, तो कृपया उसकी सूचना हमें भिजवाएँ, जिसे हम अपने अंक के माध्यम से अन्य विद्वानों तक पहुँचाने का प्रयत्न करेंगे, जिससे समाज को यह ज्ञात हो सके कि किस कृति का सम्पादनकार्य कौन से विद्वान कर रहे हैं? इस तरह अन्य विद्वानों के श्रम व समय की बचत होगी और उसका उपयोग वे अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियों के सम्पादन में कर सकेंगे. निवेदक सम्पादक (श्रुतसागर) For Private and Personal Use Only
SR No.525343
Book TitleShrutsagar 2019 02 Volume 05 Issue 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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