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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org 18 ढाल- ६ देह असुचि करि पूरीयउ हो, असुचि करी उतपन्न । इम जाणी जे प्राणीया हो, धरम करइ ते धन्न श्रुतसागर सुविचार रे प्राणी, निज मन थिर करि जोइ । इणि संसारइ सुख भणी हो, धरम पक्षइ कुण होइ मंस रुहिर नख नइ नसा हो, मेद चरम वस केस । ए सरूप इणि देहनउ हो, किहां इहां सुचि लवलेस श्रोत्र वहइ नव अहनिसइ हो, पुरुष सरीरि असार । सोत्र इग्यारह नारि नइ हो, असुचि तणा भंडार नाना व्यंजन रसवती हो, जिहां थी विणसी जाइ । चोवा चंदन वलि सवे हो, जसु संगमि मल थाइ देह अथिर जिनवर कह्यउ हो, माटी भंड समान । एक सुकृत करि सासतउ हो, जिम सुख लहइ प्रधान ढाल ७ आश्रव कारणि ए जगि जाणीयइ, परिहरि एहना संग । दुरगति जातां एहजि साथीया, तिणि ध्रमस्युं धरि रंग पंचे इंद्रिय सवि जगिनइ नडइ, विरुयां विषय सवाद । एकइ एकइ इंद्रियनइ वसइ, पामइ जीव प्रमाद नादइ मृगलउ रस वसि माछलउ, रूपइ देखि पतंग | वासइ भमरउ फरसइ हाथीयउ, पामइ रंग विरंग च्यारि कषाय निवारउ मन थकी, भवतरुनउ ए मूल । फल किंपाक समा रस जेहना, दुरगतिनइ अनुकूल पांचइ आश्रव दुख कारण गिणउ, जोग क्रिया वलि तेह । करम तणा थिति रस कारण वली, आस्रव भावन एह For Private and Personal Use Only Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जनवरी-२०१९ ॥३३॥ सुविचार०॥३४॥ सुविचार०||३५|| सुविचार०॥३६॥ सुविचार०||३७|| सुविचार०॥३८॥ आश्रव०॥३९॥ आश्रव०॥४०॥ आश्रव०॥४१॥ आश्रव०॥४२॥ आश्रव०॥४३॥
SR No.525342
Book TitleShrutsagar 2019 01 Volume 05 Issue 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2019
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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