SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ___23 December-2018 भवि० ॥३॥ भवि0 ॥४॥ भवि0 ॥५॥ भवि० ॥६॥ भवि० ॥७॥ भवि० ॥८॥ SHRUTSAGAR सर्वज्ञाय पहिलइ पदिई, बीजइ अह(ह)ते नाम । नमो नाथाय त्रीजइ कहुं, चउथइ सर्वज्ञ ठाम नाथाय वली पंचमइ, जाप अनुक्रम एह। प्रथम जंबूद्वीप भरतना, अतीत जिन कहुं तेह श्रीय महाजस जिन जपो, श्रीय सर्वानुभूति । त्रिहुं पदे जाप एहनो, पंचमइ श्रीधर थुत्ति वरतमान जिन भरतना, श्रीनमि जिनराज । श्रीमल्लि पदि त्रिहुं जपो, अर शिवसुख काज अनागत जिन भरतना, स्वयंप्रभ देव। वार त्रिण्णि देवश्रुत जपो, उदय जिन करुं सेव धातकीखंडमां भरत जे, पूरव दिशि जाणि। अतीत चउवीसी जे हुआ, जिन तेह वखाणि अकलंक पछइ शुभंकरु, त्रिण्णि पदि अभिधान । श्री जिन सप्त पछइ भणुं, चउवीसी वरतमान श्री ब्रह्मेद्र जिन सहु जपो, त्रिण्णि पदि गुणनाथ। गांगिक पछइ अनागत, जिन शिवसुख साथ श्रीसंप्रति जिन प्रणमीइ, मुनिनाथ वार त्रिण्णि। विशिष्ट हवइं पुष्करारधि(धि)इं, पूरव भरत ते धन्य अतीत चउवीसी वंदीइ, श्रीअ समृद्दि रंग। वार त्रिण्णि व्यक्त सही जपो, कलाशत जिन चंग वरतमान आराधीइ, अरण्यवास जिनंद। योग जपो पद त्रिण्णिसुं, अयोग जिन सुखकंद हवइं अनागत जिन थुगुं, श्रीअ परम जिनराज। श्रीअ शुद्धाति त्रिहुं पदिइं, निष्केश सुख काज ॥रुअडो राज हंस रे, ए ढाल॥ धातकीखंडिइं पश्चिम भरत वखाणीइ रे, अतीत चउवीसी जेह। सरवार्थ जिन पछइ हरिभद्र त्रिहुं पदिइं रे, मगधाधिपस्युं नेह भवि० ॥९॥ भवि0 ॥१०॥ भवि० ॥११॥ भवि० ॥१२॥ भवि० ॥१३॥ भवि० ॥१४॥ ॥१५॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525341
Book TitleShrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy