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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir श्रुतसागर 14 दिसम्बर-२०१८ गणि दयाकुशल कृत मौनएकादशी १५० जिनकल्याणक स्तवन श्री गजेन्द्र शाह समस्त विश्व सुख और शांति के पीछे भाग रहा है, लेकिन उसे पता नहीं कि जिस सुख और शांति के पीछे भाग रहा है, वह भागने से नहीं अपितु विरमित होने से ही प्राप्य है। रुकना है, स्थिर होना है। अपने आप में लीन होना है। दुःख व सुख के कारण हमारे भीतर ही विद्यमान हैं। उसे हमें ढूँढना है और उस तरीके से जीना है। हम बाल्यावस्था से युवा और वृद्ध हो जाते हैं, परन्तु जीवन का वास्तविक अर्थ एवं जीने का सही तरीका नहीं जान पाते हैं । वैसे जीवन को सार्थक करने व शांतिमय बनाने के कई तरीके हैं, परन्तु उनमें से यदि किसी एक को प्राधान्य देना हो तो वह है 'मौन'। विवादमूल वाणी संसार के जितने भी विवाद है सब को मिटाने की ताकत मौन में है, तभी तो कहा गया है कि 'मौनं सर्वार्थ साधनम्' । मौन सर्वार्थ साधक है तो सर्वानर्थक कौन है? उसका उत्तर है अनियंत्रित वचन । कहा जाता है कि 'अंधे का बेटा अंधा' द्रौपदी का यह छोटा सा वाक्य महाभारत का कारण बना । आज भी घर-घर में, देश, राज्य व विश्व में इसीका कहर है। इंसान के पूरे शरीर में हड्डियाँ हैं, परन्तु जिह्वा में एक भी नहीं, फिर भी यह दुसरों की हड़ी-पसली एक करने की ताकत रखती है। जिह्वा के बारे में कईं बातें, कहावतें, श्लोक, सुभाषित, दोहे, काव्य, कवित्तादि मिलते हैं। यथा- दाँत व जिह्वा में से दाँत बाद में आते हैं और पहले चले जाते हैं, परन्तु जिह्वा जन्म से होती है और अंत तक रहती है। (इससे हमें अपना वाणीव्यवहार कोमल व मृदु रखने का संदेश मिलता है)। दूसरी बात यह है कि- कितना भी स्निग्ध क्यूँ न खाया जाए, जिह्वा कभी चिकनी नहीं होती। जिह्वा के लिये यह भी कहा जाता है कि- प्रत्येक इन्द्रिय के पास प्रायः एक-एक कार्य है, परन्तु जिह्वा एक ऐसी इन्द्रिय है, जो 'वाद' एवं स्वाद' ये दोनों काम अकेली ही कर लेती है। इसके दोनों कार्यों का प्रभाव पूरी दुनिया पर देखने को मिलता है। वाद से कोर्ट-कचहरियाँ उभर रही हैं और स्वाद से अस्पतालों में लाईनें लगी हैं। विवाद मूल बानी और रोग मूल खानी' । For Private and Personal Use Only
SR No.525341
Book TitleShrutsagar 2018 12 Volume 05 Issue 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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