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श्रुतसागर
नवम्बर-२०१८
अनुक्रम
रामप्रकाश झा आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी Acharya Padmasagarsuri
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1. संपादकीय 2. आध्यात्मिक पदो 3. Awakening 4. १३ भवगर्भित पंचोटिमंडन
श्रीआदिजिन स्तवन 5. दीपावलीपर्व सज्झाय 6. ज्ञानपंचमी स्तवन 7. सोळमा शतकनी गुजराती भाषा 8. पुस्तक समीक्षा
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श्रीमती मैत्री शाह सुश्री मीनाक्षी आर. शिंदे श्री गजेन्द्र शाह मधुसूदन चिमनलाल मोदी डॉ. हेमन्तकुमार
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इक पोथी इक पदमणि, नवि दीजै पर हथ। वा विगडे पंडित विना, वा विगडै पर सथ ॥१॥
हस्तप्रत क्र.२६७७० भावार्थ - पोथी (पुस्तक) और पद्मिनी (स्त्री) को दूसरे के हाथों में नहीं देनी चाहिए। पंडित के बिना पोथी और दूसरों का साथ पाकर पद्मिनी बिगड़ जाती है (भ्रष्ट हो जाती है)।
* प्राप्तिस्थान* आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर तीन बंगला, टोलकनगर, होटल हेरीटेज़ की गली में
डॉ. प्रणव नाणावटी क्लीनीक के पास, पालडी अहमदाबाद - ३८०००७, फोन नं. (०७९) २६५८२३५५
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