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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra श्रुतसागर ( गतांक से आगे) www.kobatirth.org 6 आध्यात्मिक पदो (हरिगीत छंद) उपकारनां सूत्रो भलां ते शब्द वेदे शोभतां, ए शब्द वेदो विश्वमांहि सर्वं मन थोभतां; उपकारनी सहु वृत्तियो छे वेद श्रद्धा परवडी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. प्रामाण्य वर्तन वेद छे प्रमाण्य वर्तन देवता, प्रामाण्य वर्तन प्रगटतां देवो चरणने सेवता; प्रामाण्य वादी वेद छे जाशो नहीं बोली फरी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. कामादि सर्वे वासनाओ ज्यां नथी ते सिद्ध छे, ए सिद्धनी वाणी विषे वेदो रह्या अविरूद्ध छे; आग्रह तजीने पक्षनो जोशो जरा दिल उतरी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. विरूद्धता नजरे पडे ज्यां त्यां परस्पर देखतां, ज्यां ग्रंथमां ने बोलमां इश्वरपणुं ना पेखतां; जे 'जूठ नहि ते वेद छे चमको नहीं मन खळभळी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. जेथी टळे छे राग ने द्वेष ज तथा मिथ्यामति, ते वेद शब्द ब्रह्म छे प्रगटे समाधि जे छती; सहु वासनाओ जे थकी क्षण क्षणविषे जाती बळी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. उत्तम जीवननां शिक्षणो ते वेद विद्या जाणवी, उत्तम जीवन प्रगति करे ते वेद श्रद्धा मानवी; नीति जीवन जेथी वधे ते वेद विद्या गुण करी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी For Private and Personal Use Only अक्टुबर-२०१८ 61 62 63 64 65 66 (क्रमशः)
SR No.525339
Book TitleShrutsagar 2018 10 Volume 05 Issue 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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