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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org 25 October-2018 ३४. अपरिक्खेदीतत्वं- अनायास निकला हुआ वचन, खिन्नता से रहित । ३५. अव्युच्छेदित्वम्- विवक्षित अर्थ की सिद्धि होने तक अनवच्छिन्न प्रवाह वाला वचन। इस प्रकार कुल ३५ गुणों से युक्त जिनवाणी होती है । कृति परिचय : Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २७ गाथा निबद्ध प्रस्तुत कृति का छंद (काव्य) प्रकार स्तवन है, जिसकी स्पष्टता कर्त्ता ने स्वयं ‘जिनभत्तइ विरचिय तवनबध' वाक्य से की है। कृति के प्रारंभ में जिनवाणी के निर्मल पैंतीस गुणों की स्तवना हेतु कर्त्ता ने मङ्गलाचरण करते हुए कहा है कि- काव्य में अपनी मति कला सरल, सहजसुलभ बोधगम्य हो एतदर्थ विनय गुणों से पूर्ण ऐसे जनसमूह के लिए वन्दनीय, सुखसम्पदा के कारक, सम्पदायुक्त पार्श्वजिन के चरणकमलों में नमन करता हूँ । प्रथम गाथा के तृतीय चरण- ‘थुणिऊं जिणवयण पणतीस गुणनिम्मला' से कृति का विषय ज्ञात हो जाता है । जिनवाणी के ३५ गुणों अथवा अतिशयों का वर्णन प्रस्तुत कृति में किया गया है । कृति के अंत में कर्त्ता ने कृति विषय के आधार के रूप में समवायांगसूत्र, औपपातिकसूत्र और रायपसेणियसुत्त (राजप्रश्नीयसूत्र ) वृत्ति का संदर्भ दिया है । इस कृति की भाषा अपभ्रंश एवं मा.गु. संमिश्र है, किन्तु अपभ्रंश की प्रधानता एवं आधिक्य होने के कारण इस कृति की भाषा के रूप में अपभ्रंश को स्वीकार कर सकते हैं । कर्त्ता परिचय : कृति की अंतिम गाथा क्र. २७ में कर्त्ता ने अपना निम्नलिखित परिचय दिया है“इम गच्छ खरतर सुगुरु श्री जिनहंससूरि मुणीसरो । तसु सीस पाठक पुण्यसागर थुणिया जिन परमेसरो ॥ अइसय सुसंपय एहवी मह तुह पसायइ थाइज्यो । वीनती सगली एह विहली सामि सफली होइज्यो ॥२७॥” ‘आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा' के संशोधक एवं पण्डितों के द्वारा संकलित कर्त्ता एवं विद्वानों की सूची में कुल ३७ पुण्यसागरजी का नामोल्लेख प्राप्त होता है, किन्तु इस कृति की प्रशस्ति में कर्ता के द्वारा स्वयं को खरतरगच्छीय जिनहंससूरि के शिष्य के रूप में उद्घोषित किया है और इस सन्दर्भ के साथ केवल एक कर्त्ता साम्यदर्शी है जो 'जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति की (सं.) टीका' के रचयिता पुण्यसागरजी For Private and Personal Use Only
SR No.525339
Book TitleShrutsagar 2018 10 Volume 05 Issue 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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