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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 श्रुतसागर अक्टुबर-२०१८ पेठे बन्ने पतिओथी भ्रष्ट थयेली तेणी राजसैनिकोना डरथी घोडा पर बेसी त्यांथी भागी विविध गामोमां परिभ्रमण करती कामपुरमां पहोंची अने त्यां एक वेश्याने घेर स्थिर थई फरी पाछी वैषयिक सुखोमां लुब्ध बनी। हवे वेदसारनो पुत्र वेदविचक्षण पण पिताना मृत्यु बाद भमतो भमतो आ ज नगरमां आवीने रह्यो। अहीं पोतानी माताने न जाणतो ते माता साथे ज भोगसुखो भोगववा लाग्यो । वेश्याने त्यां रहेली माता कामलक्ष्मी पण पुत्रने न ओळखती तेनामां विषयाशक्त बनी । तेवामां एक दिवस कामलक्ष्मीए वेदविचक्षणने तेना ग्रामादिकनो परिचय पूछ्यो। सरळमना वेदविचक्षणे तेणीनी आगळ पोताना पूर्वजीवननी बधी घटनाओ कही संभळावी। ते वात सांभळता ज पोतानी भोगाभिलाषा संतोषवा अजाणपणे पुत्र साथे बंधायेला संबंधोना विचारथी कामलक्ष्मीनुं मन उद्विग्न बन्यु । अंते आ पाप, प्रायश्चित्त करवा माटे आत्मघातने ज श्रेष्ठ विकल्प मानी तेणी वनमां गुप्तपणे चिता सळगावी तेना उपर बेठी। जो के हजुय तेना भोगावली कर्मो बाकी हता तेथी आत्मघात माटे सळगावेली ते चिता अचानक ज चढी आवेला नदीना पूरमां तणाइ गई। साथे साथे कामलक्ष्मी पण ते पाणीमां तणाई। पाणीमां डूबती तेणीने कोई गोवाळ द्वारा बचावाता ते उपकारी गोवाळमां वळी ते कामलक्ष्मी अनुरागवाळी थई। अहीं तेनी साथे भोगसुखो भोगवती तेणी दूध, दही, घी आदी वेचीने पोतानुं जीवन पसार करवा लागी। __एकवार दहींथी भरेलो घडो लई तेणी अन्य गोवाळण साथे नगर तरफ जती हती त्यारे अचानक ज मदमस्त बनेलो राजानो हाथी आलान स्थंभने उखेडी वन तरफ दोडतो आव्यो। राजादि पण कौतुकथी तेनी पाछळ आव्या। आ अफडातफडीमां संभ्रांत थयेली ते गोवाळणो पण ते मार्गथी पाछा जवा जेवी उतावळी थई के तेटलामां ज तेमना माथा परनो घडो सरकीने नीचे पडी जता फूटी गयो। एक गोवाळणी तो तेनो खाली घडो फुटेथी पण रडवा लागी ज्यारे कामलक्ष्मी पोतानो दहीं भरेला घडाने फूटेलो जोई हसती छती त्यां ज उभी रही । भवितव्यताए वेदविचक्षण पण त्यां आवी पहोंच्यो। पेली गोवाळण- हसवानुं कारण न समजाता तेणे गोवाळणने तेम करवानुं कारण पूछ्यु । परस्पर एक बीजाने न ओळखी शकता माता कामलक्ष्मीए विषयाधिनपणाथी पोताना वडे जीवनमा आचरायेला कार्य-अकार्यनी सघळी बीना पुत्रने कही संभळावीने छल्ले कडं के जेना बेय जन्मो बगड्या होय तेने वळी आ घडो फूटे शेर्नु रडवु आवे? ____ माता पासेथी सघळी वात जाणी वेदविचक्षणने पण पोताना अकार्य माटे धिक्कार थयो अने तेनुं मन पण मातानी जेम भोगसुखोथी विरक्त थयु । हवे आ अकार्यना For Private and Personal Use Only
SR No.525339
Book TitleShrutsagar 2018 10 Volume 05 Issue 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size2 MB
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