________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
श्रुतसागर
www.kobatirth.org
6
आध्यात्मिक पदो
(हरिगीत छंद)
स्याद्वादनयसापेक्षथी बायबल कुराणो वेद छे, तेमज पुराणो सत्य जे ते, वेद मन नहि खेद छे; स्याद्वादनय सापेक्षथी जे बौद्धना ग्रंथोवाळी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. सर्वज्ञ श्रीमत् केवली ज्ञानी महन्तो जे थया, तेनां वचन जे सत्य ते वेदो अपेक्षाए लह्या; जे सत्य नहि ते वेद नहि प्रामाण्यता ज्यां ना ठरी, एव अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. शास्त्रो मे ते धर्मनां वा पन्थनां जे जे थयां, सवळा पडे ते जैनने सम्यकत्वसापेक्षा ठर्यां; सम्यकत्व वण मिथ्यात्वीने अवळीज दृष्टि मन ठरी, एव अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. सर्वज्ञ आगम परिणमे जेना हृदयमां नयवडे, तेने ज साचुं परिणमे ते वेद सापेक्षाबळे; लाखो करोडो जातनी सापेक्षदृष्टियो वळी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. चारे निखेपे वेद छे वेदान्त उपनिषदो तथा, अनुयोग चारे वेद छे व्यवहार शुभ सघळी कथा, आगमथकी नोआगमे छे वेद, भावे संवरी, एवी अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. साचा हृदयनां बाळको वेदो अमारा मन गम्या, जे तत्त्व शोधोने करे, ते वेद मारा मन गम्या; मुक्ति मळे जे योगथी ते वेद श्रद्धा मन रळी, एव अमारी वेदनी छे मान्यता निश्चय खरी. जेथी मनुष्यो सुख लहे ने दुःख सर्वे जाय छे, ते ते उपायो वेद छे ज्ञानी हृदयमां च्हाय छे;
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आचार्य श्री बुद्धिसागरसूरिजी
For Private and Personal Use Only
सितम्बर-२०१८
48
49
50
51
52
53