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चोवीसजिन सवैया
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Septermber-2018
डॉ. जागृति बी. प्रजापति
मोक्षप्राप्तिना विविध मार्गोमां भक्तिमार्ग पोतानुं आगवुं स्थान धरावे छे. सामान्य वर्गनी व्यक्ति पण तेने सरळताथी अपनावी पोताने आत्मकल्याणना मार्गे वाळी शके छे। एटले ज आपणा महापुरुषोए प्रचुरमात्रामां भक्तिकाव्योनी रचनाओ करी छे आ काव्यो स्तवन, स्तुति, स्तोत्र, छंद, लावणी, धवल, फागु, बारमासा, चौपाई आदि अनेक प्रकारोमां जोवा मळे छे । तेमांथी प्रस्तुत कृतिनो काव्यप्रकार ‘सवैया' छे।
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केटलाक काव्योना नाम साथे छंदनुं नाम अविछिन्नपणे जोडायेलुं होय छे। तेम प्रस्तुत कृतिनुं नाम पण छंद नामयुक्त '२४ तीर्थंकर सवैया' छे । आ रीते काव्य नाम साथे छंद नाम श्रवणगोचर थतां तेनी पद्य रचनानुं स्वरूप नजर समक्ष उपस्थित थई जतुं होय छे। कृतिना शीर्षक उपरथी काव्यना छंदनो संबंध जाणवा मळी जतो होय छे। प्रस्तुत कृतिमां वर्तमान चोवीशीना २४ तीर्थंकरोनी स्तवना करवामां आवी छे २४ जिनेश्वरोमां प्रत्येक जिननी स्तवना करतां एक-एक काव्यो तो होय छेज, तेम एक ज कृतिमां चोवीसे य जिनेश्वरोनी स्तवना करतां काव्यो पण प्रचुरमात्रामां जोवा मळे छे, तेमांनी ज आ एक रचना छे। आ कृतिमां जिनेश्वरोना माता-पिता, लंछन, आभूषणसौंदर्य, विगेरे बाबतोनो ध्यानमां लई वर्णनपूर्वक स्तवना करेल छे। कृतिपरिचय :
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उपलब्ध कृति २८ गाथानी छे तेमां प्रारंभिक त्रण गाथा मंगलाचरणनी अने २५ गाथा विषयवस्तुनी छे। प्रारंभमां भगवती सरस्वतीनी प्रार्थना करवामां आवी छे। बीजी अने त्रीजी गाथामां गौतमस्वामी अने २४ जिननुं स्मरण कर्तुं छे । आकृतिमां चोवीसजिननुं वर्णन करेल छे । चोवीस तीर्थंकरनी चोवीस गाथा अने पच्चीसमी गाथामां रचना प्रशस्ति आपवामां आवी छे । कृतिनो प्रकार सवैया छे । तेमां चार अने छ चरणना पद आपेल छे । प्रस्तुत कृतिनी रचना सं. १८१४ भाद्रपद शुक्ल ४ ना दिने हरिसागर द्वारा नाडोल शहेरमां करायेल छे.
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कर्तापरिचय :
कर्ता विषे विशेष माहिती उपलब्ध नथी. कर्तानी परंपरामां तेमना गुरु आगमसागर अने दादागुरु जिनेंद्रसागरनुं नाम मळे छे. आ उपलब्ध प्रतने आधारे कृतिनुं रचनावर्ष