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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 30 श्रुतसागर अगस्त-२०१८ बेदरकारी बताववामां आवी न होत तो गुजराती साहित्यने परिपुष्ट थवानी जोगवाई क्यारनी मळी गई होत; परंतु आमां केटलेक अंशे जैन कोम पण पोताना तेवा प्रमाद माटे ठपकापात्र छे. केटलाक विद्वानो कहे छे तेम जैन गद्य, पद्य साहित्य तो मात्र तेमना धर्मने लगतुं होवाथी गुजराती भाषाना अभ्यसीओनुं लक्ष तेना तरफ खेंचायु नथी ते पण तेओनुं अजाणपणुं सुचवे छे. गुजराती भाषाना प्रथम जन्मकाळमां जैन मुनिओ अने जैन मंत्रीओ दर्शन देता जणाय छे. जैनोना संपूर्ण उदयकाळमां ज्यारे बीजाओ तेओ तरफ जुदा भावथी जोता हता, त्यारे ए जैन महापुरूषो बीजाओ तरफ उदार भावथी वर्तता हता, एम गुजरातनो जैन ईतिहास अने आवा रासो तपासतां जणाय छे; एटलं ज नहीं परंतु ते ते प्रसंगोए मुनिओए साहित्य, रासो, काव्यो, ईतिहास अने उपदेशक ग्रंथो लखी गुजरातना साहित्यनी वृद्धि करी छे. तेमज जैन गृहस्थो वस्तुपाळ-तेजपाळ जेवा अमात्यो वगेरे ए पण लखी साहित्यमां अभिवृद्धि करी छे; जेथी एम जणाय छे के गुजराती साहित्यनी वृद्धि माटे अने धर्मनीतिना सिद्धांतोना समाजमां प्रचार माटे असाधारण श्रम लइ बीजाओ माटे अनुकरणीय द्रष्टांत मुक्युं छे. तेवू जैन साहित्य हजु पण अप्रगट अवस्थामां ज्यांत्यां पडी रही उद्धईने बतावी देवानो, के प्रमादवश तेनो अयोग्य नाश थवा देवानो आ जमानो नथी. अत्यारना ब्रिटीश राज्यमां ते संरक्षित होवाथी तेने जलदी प्रगट करवानुं कार्य जैनदर्शनना मुनिओ अने श्रीमानो जलदी मुख्यत्वे करीने हाथ धरशे एम अमे नम्र भावे सूचना करीए छीये. ___ उपर जणावेल रासाओ जैन उपाश्रय धर्मना स्थानमा आजे पण चोमासानानिवृत्तिना-दिवसोमां तेमज केटलेक स्थळे उनाळाना लांबा दिवसोमां पण बपोरना वखते मुनि महाराजाओ के जाणकार जैन गृहस्थो वांचे छे अने अनेक श्रोताओ श्रवण करे छे. जैन शास्त्रो आगमो वांचवा-विचारवा के समजवानुं सामान्य जीवो माटे मुश्केल होवाथी तेओना लाभ माटे धर्मनीतिनुं सरळ रीते शिक्षण आपनारा आवा रासो आ देशमां रचनार महापुरूषोए तेवा चारसो पांचसो वर्षनो भूतकाळ तपासतां जनसमूह उपर महद् उपकार कर्यो छे एम सहज जणाय छे. गुर्जर भाषानी स्थिति प्रदेशमां जैन कविओ सारी रीते दीपी उठ्या छे. आवा रासोमां आवेली तेमनी कविताओए अनेक रंगो देखाड्या छे. अनेक दाखला, द्रष्टांतो आपी दान-शील-तप-भावना-अहिंसा-सत्य-ब्रह्मचर्य, मैत्री-करूणा-प्रमोद अने For Private and Personal Use Only
SR No.525337
Book TitleShrutsagar 2018 08 Volume 05 Issue 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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