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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 20 ॥२ ॥ ॥३॥ श्रुतसागर जून-२०१८ दर्शावी जे पाठ शुद्ध जणायो छे तेने संपादनमां स्थान आप्यु छे. प्रतोथी पण स्पष्ट न थता एवा अमारा द्वारा दर्शावायेल शुद्धपाठ कोष्ठक ( ) मां मूकेल छे. प्रथम ढालना गाथांकस्थानो माटे प्रत (C) ५११८८नो उपयोग करेल छे. ॥१० दृष्टांत सज्झाय॥ भगवति सरसति मति दिउ' नरमली, बोलस्यु नरभव दश बोले वली, बोलसिउ नरभव तणा, दृष्टांत सार दस सोहामणा, सांभलु भवीअण भाव धरता, रंग आणी अति घणा ॥१॥ चुल्लग पासग धान्य जूअनइ, रयण समण कहइ वली। चक्र चर्म युग परमांण पूरा, एतलइ ए दश मली जंबूदीप भरत वषांणीइ, देस पंचाल माहे जाणीइ, जाणीइ तिहां कंपिल्य' पुर वर, सधर चक्रधर बारमु, ब्रह्मदत्त नामइ तेण गामइ, लीलाइ सुरपति समु बंभण एक तसु मिलण वांछइ, बालमित्र भूपति तणु। पगत्रांणनी धज करी अ मिलीउ, दीठइ आणंद अति घणु ॥४॥ तूठओ चक्रधर जंपइ ईणइ परिइं, मागि तूंसु रिज नजं(निज) जोई जोइ घरे। जे घरे जोईइ मित्र ताहरइ, माहरइ ते सहू अछड़। घरि जई पूछउ नारि माहरी, कहइ ते मागउं पछइ बंभण पूछइ जईनइ घरे, नारिनइ मूरिख पणइ। तूठडु चक्रधर सयल आपइ, किसु जोईइ आपणइ नारी' अ निज मनि जोईइ इम भणइ, गाम पुर घोडे खप नही आपणइ। आपणइ जोईइ भलु भोजन, सजन' सहित सोहामणुं। दीनार उपरि एक मागु, कवण आपेस्यइ घj 1a भगवति सरसति मति दिउ bसरसति मुझ मति दिउ अति, सरसति भगवती मति दीउ 2aधन, bधान्य, ध्यान 3 किपल, bकंपिल्य cकंपिल्ल 4तूंस ज नीजं जोई, bतुसु रिज न जोई, तूंसु रिज नजं जोई 5aभूपति, bcचक्रधर, 6acनारी, bसारी 7aपरि, bcपुर 8 acसुजन, bसजन ॥ ५ ॥ ॥६ ॥ ॥७॥ For Private and Personal Use Only
SR No.525335
Book TitleShrutsagar 2018 06 Volume 05 Issue 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2018
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size3 MB
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