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June-2018 ४. धुत दृष्टांत
१०८ स्तंभ, ए प्रत्येकना १०८ खूणा वाळा सभाभवनना प्रत्येक खूणाने द्युतमां जीती जq जेम कठिन छे, तेवी ज रीते पुनः मनुष्यजन्म मळवो कठिन छे. ५. रत्न दृष्टांत
सुरक्षित मूकेला रत्नोनुं ध्यान राखवान कार्य पुत्रोने सोंपी कृपण धनिक पिता ग्रामान्तर जतां पुत्रोए तेनो देश-देशांतरोमां व्यापार करी दीधो. हवे पाछा आवेला पिता माटे ते रत्नो एकत्र करवा मुश्केल छे, तेवी ज रीते मनुष्यजन्म मळवो मुश्केल छे. ६. स्वप्न दृष्टांत
मूलराज अने सन्यासीने मुखमां चंद्र प्रवेशनुं स्वप्न आवाथी सन्यासी द्वारा ज्यां त्यां फलपृच्छा करवाथी मळेला उत्तर अनुसार फलस्वरूपमां सारं खावा- मळ्यु. मूलराजने सारा स्वप्नपाठकने पूछवाथी फलस्वरूप राज्य मळ्यु. मूलराजने मळेल राज्यथी सन्यासीने पण राज्यनी इच्छा थई अने ते पुनः एज जग्याए तेवा स्वप्ननी इच्छाथी दररोज सुवा लाग्यो. परंतु पुनः एवं स्वप्न आवq जेम असंभव छे, तेवी ज रीते मानवभव मळवो मुश्केल छे. ७. चक्र दृष्टांत
एक स्तंभ पर सीधा अने उलटा क्रममां फरता चार-चार चक्र, एना उपर राधानामक फरती पुतली, एनी डाबी आंखने स्तंभनी नीचे राखेली तेलनी कढाईमां जोईने बाणथी बींधवी जेम मुश्केल छे, तेवी ज रीते मनुष्यजन्म पुनः मळवो अत्यंत दुर्लभ छे. ८. कूर्म दृष्टांत
सरोवरने ढांकीने रहेल सेवाळमां छिद्र पडवाथी काचबाने शरदपूर्णिमाना चंद्रना दर्शन थई जाय छे, परंतु तळिए रहेल परिवारने बोलाववा जतां सुधीमां ए छिद्र बंध थई जाय छे. ए काचबाना परिवारने पुनः चंद्रदर्शन थq जेम दुर्लभ छे, तेम मनुष्यभव मळवो दुर्लभ छे. ९. युग दृष्टांत ____ असंख्य योजन विस्तृत स्वयंभुरमणसमुद्रना पूर्वभागमां कोई देव द्वारा बळदगाडीनी धोसरी राखवामां आवे अने पश्चिममा एना छिद्रमां आववा वाळी समेल (खीली) राखवामां आवे तो ए एना छिद्रमा लागी जवी जेटलु कठिन छे तेम मानवभव पण दुर्लभ छे.
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