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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAR July-2017 ६. संभूतिविजयसूरि अने भद्रबाहुस्वामी/सूरि संभूतिविजयसूरिनो वधु परिचय नथी मळतो. तेमणे ४२मां वर्षे दीक्षा लीधी हती, ४० वर्ष गुरुसेवा करी हती अने ८ वर्ष युगप्रधनापदे रह्यां हतां. आ रीते ९० वर्षनी वये वीर नि.सं. १५६मां तेओ स्वर्गे गयां. आ आचार्य महाराज श्रीस्थूलीभद्रजीनां गुरु तरीके घणी ख्याति पाम्यां छे. भद्रबाहुस्वमीनो जन्म दक्षिणमा प्रतिष्ठानपुर नगरमां, ब्राह्मण ज्ञातिमां, प्राचीन गोत्रमा थयो हतो. कहेवाय छे के तेमने वराहमिहीर नामनो भाई हतो. यशोभद्रसूरिनां उपदेशथी बन्ने भाईओए तेमनी पासे दीक्षा लीधी हती. बन्ने भाई गुरुसेवामां रही शास्त्राभ्यासमां निपुण थयां हतां, परन्तु वराहमिहीरनो स्वभाव क्रोधी होवाथी गुरूए तेने आचार्यपदने अयोग्य जाणी भद्रबाहुने आचार्यपद आप्यु. आथी वराहमिहीरनो क्रोध विशेष वध्यो, पण ते कांइ न करी शक्यो. गुरुनां स्वर्गगमन पछी भद्रबाहु पासे तेणे आचार्यपद मांग्यु, पण तेमणे पोतानां स्वर्गस्थ गुरुनी इच्छा प्रमाणे ते माटे इन्कार कर्यो. आथी वराहमिहीरे गुस्सामां आवी साधुवेशनो त्याग करी राज्याश्रय लीधो. त्या गया पछी पण तेणे बे' प्रसंगे भद्रबाहुनो विरोध कर्यो, पण कंइ सफळता न मळी प्रशंसा मेळववाना लोभमां तेणे त्यां सुधी गप हांकी के सिंहलग्ननां स्वामीए मारा उपर प्रसन्न थईने मने ग्रहमंडलनुं निरीक्षण कराव्यु जेथी हुं ज्योतिष-निमित्त जाणवामां सौथी श्रेष्ठ छु. पण आ गप वधु वखत न चाली. छेवटे ते अपमानित थई मरण पामी व्यंतर बन्यो अने श्रीसंघने उपद्रव करवा लाग्यो. छेवटे भद्रबाहुस्वामीए ते उपद्रवनां निवारण माटे उवसग्गहरस्तोत्र८ बनाव्यु जे अत्यारे पण महाप्राभाविक गणाय छे. भद्रबाहुस्वामीए जैनशासन अने जैनसाहित्य उपर बहु उपकार कर्यो छे. तेओए आ प्रमाणे दश नियुक्तिओ रची छे : १. आवश्यक नियुक्ति, २. पच्चख्वाण नियुक्ति, ३. ओघनियुक्ति, ४. पिंडनियुक्ति, ५. उत्तराध्यन नियुक्ति, ६. आचारांग नियुक्तित, ७. सुयगडांग नियुक्ति, ८. दशवैकालिक नियुक्ति, ९. व्यवहार नियुक्ति अने १०. दशाकल्प नियुक्ति. आ उपरांत छ छेदसूत्रो पण तेमणे रच्यां छे: १. निशीथ, २. बृहत्कल्प, ३. पंचकल्प, ४. व्यवहार, ५. दशाश्रुतस्कंध अने ६. महानिशीथ. दशाश्रुतस्कंधमांथी कल्पसूत्रन उद्धरण पण तेमणे ज कर्यु छे, जे सूत्र पर्युषणा पर्वनां छेल्लां पांच दिवसोमां संघ समक्ष वंचाय छे. आ रीते तेओ जैनसासननां महान उपकारी छे. तेमनां माटेनी नीचेनी बे स्तुतिओ मननीय छे: 1. इतिहास-वेत्ता मुनिराज श्री कल्याणविजयजी माने छे के आ घटना बीजा भद्रबाहुस्वामी साथे संगत थाय छे. For Private and Personal Use Only
SR No.525324
Book TitleShrutsagar 2017 07 Volume 04 Issue 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHiren K Doshi
PublisherAcharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
Publication Year2017
Total Pages36
LanguageGujarati
ClassificationMagazine, India_Shrutsagar, & India
File Size6 MB
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