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श्रुतसागर
जून-२०१७ सेवा करी. ४४ वर्ष सुधी तेओ युगप्रधानपद उपर रह्या. छेवटे वीर नि.सं.६४मा ८० वर्षनी वये तेओ निर्वाण पाम्या. तेमना निर्वाणनो संवत सूचवती गाथा आ प्रमाणे मळे छे.
बारसवरसेहि गोधमो सिद्धो वीराओ वीसहि सुहम्मो।
___ चउसट्ठीए जंबू वुच्छिन्न तत्थ दसठाणा ॥ आ गाथामां जंबूस्वामीना निर्वाण पछी जे दस चीजोनो विच्छेद थयो मानवामां आवे छे ते आ प्रमाणे जाणवी:
___ मणपरमोहि पुलाए आहारग खगवसमे कप्पे।
संजमतिय केवल सिज्झणा य जंबूम्मि वुच्छिन्ना॥ आ रीते आ पांचमा आरामां निर्वाण पामनार छेल्लामां छेल्ला महापुरूष ते जंबूस्वामी थया. तेमनी पछी कोइ मोक्षे गयु नथी. ३. प्रभवस्वामी
विंध्याचळ पर्वतनी तळेटीमां आवेल जयपुर नगरमां, कात्यायन गोत्रना राजा जयसेनने त्यां तेमनो जन्म थयो हतो. तेमने विनयधर नामनो नानो भाइ हतो. राजाए विनयधरने योग्य जाणी राजगादी तेने आपी, आथी प्रभवने दुःख लाग्यु अने ते देश छोडी चाली नीकळ्यो. भावीना बळे ते भीलनी पल्लीमां जइ ४९९ चोरनो सत्कार बन्यो अने चोरीना धंधाथी पोतानो निर्वाह करवा लाग्यो. एक वार पोताना बधाय साथीओ साथे ते राजगृहीमां जंबूस्वामीना घरमां ज चोरी करवा गयो. ते वखते जंबूकुमार पोतानी स्त्रीओने उपदेश आपता हता. आ उपदेशनी असर प्रभव अने तेना चोरसाथीदारो उपर पण थइ. परिणामे ते बधाए पोतानो अधम धंधो छोडीने जंबस्वामी साथे सुधर्मास्वामी पासे दीक्षा लीधी. दीक्षा वखते तेमनी वय ३० वर्षनी हती. तेमणे ४४ वर्ष गुरुसेवा करी अने ११ वर्ष युगप्रधानपद भोगव्यु.
1. उ. श्री धर्मसागरजी महाराज कृत “तपागच्छपट्टावली” मां लख्युं छे के ‘चतुश्चत्वारिंशद्वर्षाणि __ युगप्रधानपर्याये चेति।' 2. त्रणे संयम-चारित्रने एक साथे गणीए तो ज दस वस्तुओ थाय छे, नहीं तो बार थाय छे. 3. जंबूस्वामी अने प्रभवस्वामी वगेरे ५२७ जणाए एकी साथे दीक्षा लीधी हती तेना स्मारकरूपे मथुरामां ५२७ स्तूप बन्या हता. 'हीर सौभाग्य’ काव्यना १४ मा सर्गमां तेनो आ प्रमाणे उल्लेख मळे छ :
जंबूप्रभवमुख्यानां मुनीनामिह स प्रभुः। ससप्तविंशतिं पंचशती स्तूपान् प्रणेमिवान् ॥२५०॥
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